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गणपति की ईको फ्रेंडली विदाई

गणपति की ईको फ्रेंडली विदाई

Shraddha Uchil
  • मोबाइल तालाबों से लेकर गणेश की पी.ओ.पी प्रतिमाओं की पुनर्चक्रण प्रक्रिया के साथ इस वर्ष मुंबई पर्यावरण हितेषी गणेश चतुर्थी के लिए बिलकुल तैयार है।

मुंबई के लिए गणेश चतुर्थी का यह पर्व इस बार जिस रूप में आया है, वैसा पहले कभी नहीं रहा। जो शहर प्रायः गणपति उत्सव पर 'गो बिग ऑर गो होम' के मंतव्य को लेकर चलता हो वहां इस वर्ष यह दृश्य कोविड-19 की महामारी के चलते एक शांत रूप में परिलक्षित होने जा रहा है।

जहां सामाजिक दूरी के नियमों के अनुसार बड़े बड़े समारोह के आयोजन पर अंकुश लगा हुआ है वहां छोटे और कम जमावड़ों वाले आयोजन यहां तक कि मुंबई का सर्वाधिक प्रसिद्ध और प्रायः सबसे बड़ा गणपति पंडाल -- 'लालबागचा राजा', वर्ष 2020 में एक छोटा आयोजन रहेगा।

स्थिति को ध्यान में रखते हुए, मुंबई की नगर निकाय -- बृहन्नमुंबई महानगरपालिका (बी.एम.सी) ने यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ खास नियम निर्धारित किए हैं कि कोरोना वायरस के कारण आकस्मिक रूप से अब तक जितना विनाश हो चुका है उससे अधिक ना हो पाए। और इनमें से अधिकतर प्रावधान हमें एक ऐसे पर्यावरणीय हितैषी गणेश उत्सव के लिए तैयार कर रहे हैं जो इस शहर में आज तक नहीं हुआ है।

Mobile ponds will be available at your doorstep by calling on the BMC helpline number.

मुंबई के जी-नॉर्थ वार्ड (G North Ward) के असिस्टेंट म्युनिसिपल कमिशनर, श्री किरण दिघावकर कहते हैं, "सर्वप्रथम हम नागरिकों से अनुरोध करते हैं कि वे गणपति विसर्जन अपने घरों के परिसर में ही करें। जिनके लिए ऐसा करना सम्भव नहीं है उनके लिए ट्रक और टेम्पो में पानी से भरे टैंक सचल तालाब के रूप में प्रारम्भ किए गए हैं ताकि लोगों को आसानी से एक हेल्पलाइन नंबर पर फ़ोन करके यह सुविधा उनके द्वार पर ही उपलब्ध हो जाए।

"इस वर्ष कृत्रिम तालाबों की संख्या भी बढ़ा दी गई है। हमारे जी-नॉर्थ वार्ड में ही लोगों के लिए बारह तालाब उपलब्ध हैं।" श्री दिघावकर आगे कहते हैं, "पूरे शहर में इनकी संख्या 200 ponds यह 2019 में उपलब्ध तालाबों की संख्या को देखते हुए जो केवल ३२ थी, एक बड़ा कदम है। इन तालाबों का निर्माण यह सुनिश्चित करेगा कि समुद्र में विसर्जित करने की अपेक्षा, जहां मूर्तियां पानी प्रदूषित करती हैं और पारिस्थितिकी तंत्र का विनाश करती हैं, मूर्तियों की अधिकतम संख्या अंत में 'बी.एम.सी' के हाथों में आ जाए। यह प्रदूषण 'प्लास्टर ऑफ़ पैरिस' से बनी मूर्तियों के कारण, जिन्हे नष्ट होने में कई महीनों लगते हैं और जो समुद्री जानवरों के लिए हानिकारक हैं, तथा 'निर्माल्य' अर्थात् मूर्तियों के साथ लाई गई सामग्री जैसे फूलों, फलों और अगरबत्तियों के कारण होता है।

Ganpati visarjan at the artificial pond next to Vanita Samaj, Shivaji Park. This year 200 artificial ponds are available across the city and the idols have to be handed over to the BMC volunteers who will do the immersion. Image Courtesy Kunal Mathure

मुंबई के जी-नॉर्थ वार्ड में दादर, माहिम और धारावी के क्षेत्र शामिल हैं जहां प्रायः बड़ी संख्या में विसर्जन होते हैं।श्री दिघावकार कहते हैं की पिछले वर्ष इन तीन इलाकों में १८००० से भी अधिक मूर्तियां विसर्जन के लिए पहुंची जिनमें से वे केवल ९००० मूर्तियों को पुनर्चक्रण के लिए प्राप्त कर सके। वे कहते हैं कि जो मूर्तियां प्राप्त नहीं की जा सकीं सम्भवतः उनमे से कुछ पर्यावरण हितैषी रही होंगी परन्तु यह आशंका है कि कई पी.ओ.पी निर्मित मूर्तियां स्वतः समुद्र में खो गई होंगी।

Mr. Kiran Dighavkar, Assistant Municipal Commissioner of G North Ward, Mumbai.

श्री दिघावाकर कहते हैं, "इस वर्ष नागरिकों को अपने आप विसर्जन करने की अनुमति नहीं दी गयी है, चाहे यह विसर्जन समुद्र में करना हो अथवा एक कृत्रिम तालाब पर, उन्हें ये मूर्तियां बी.एम.सी के स्वयंसेवकों को सौंपनी पड़ेंगी। इसके अतिरिक्त इस वर्ष लोगों को ये सख्त निर्देश दिए गए हैं कि विसर्जन स्थल पर केवल मूर्तियों को लाया जाए और निर्माल्य को घर में ही रखा जाए।"

श्री दिघावकर के अनुसार यद्यपि इस वर्ष भी बी.एम.सी द्वारा नागरिकों से गणेश की पर्यावरण हितैषी मूर्तियां प्रयोग करने का अनुरोध किया गया है, तथापि नगर निकाय ने उनके द्वारा एकत्रित की गई पी.ओ.पी मूर्तियों के पुनर्चक्रण की योजना बना ली है। इस पुनर्चक्रण तकनीक में प्लास्टर ऑफ़ पैरिस (जो कैल्शियम सल्फे़ट हेमिहाइड्रेट का ही एक खूबसूरत नाम है) का अमोनियम बाइकारबोनेट के घोल में शोधन शामिल है जिससे यह तत्व अमोनियम सल्फ़ेट और कैल्शियम बाइकारबोनेट जैसे ग़ैर विषैले रसायनों में विघटित हो जाता है। ये रसायन खादों के रूप में तथा निर्माणकारी उद्योगों जैसे स्थानों पर प्रयोग किए जा सकते हैं और इस प्रकार वे समुद्र के पानी में कचरा बनकर उसे प्रदूषित नहीं करते हैं।

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