मिलिए ज़ीरो-वेस्ट भोजनालयों के महाराज ईट राजा से!
- मल्लेश्वरम के एक लोकल भोजनालय का मालिक, ईट राजा, बेंगलुरु में ज़ीरो-वेस्ट जीवन का एक खुशनुमा और लोकप्रिय एम्बैसडर है
Sushmita Murthy is a features writer with a penchant for…
शहर में स्टार्टअप
झड़ी हुई पत्तियों से बने स्ट्रॉ, ग्लासों की जगह फलों के शैल, खाद्य वेस्ट को या तो कॉम्पोस्ट में फैंक देना या गाय को खिला देना, सिट्रस वेस्ट से नेचुरल डिश और फ्लोर क्लीनर बनाना, रीयूज़ेबल स्टील की प्लेट में खाना परोसना — ईट राजा, बेंगलुरु के मल्लेश्वरम के एक लोकल भोजनालय, में ज़ीरो-वेस्ट मूल्य को पूरी तरह से माना जाता है। भारत के स्टार्ट-अप हब बेंगलुरु के नागरिक होने के कारण राजा की हमेशा से अपना खुद का स्टार्ट-अप खोलने की चाह थी। ज़ीरो-वेस्ट शॉप का विचार उसे एक साल पहले आया जब उसने अपने पिता की याद में कुछ करने का सोचा। उसके पिता एक चाय और ट्रैवल की दुकान चलाते थे। “मैं अपने पिता को सिंगल-यूज़ कपों को इस्तेमाल करने के लिए मना करता था पर दूसरे ऑप्शंस उनके लिए फ़ाईनैनशीयली वायबल नहीं था। उनके देहांत के बाद मैं उनकी याद को एक सार्थक रूप से संजोना चाहता था। इसीलिए मुझे पक्का पता था की उसका तरीका एक ज़ीरो वेस्ट शॉप होगी जिसके ज़रिए लैंडफ़िल में कोई भी वेस्ट नहीं जाता है,” राजा ने बताया। राजा ने अपना सफ़र मेकैनिकल एंजिनीरिंग से शुरू किया जिसके बाद उसने आर.जे. का काम भी किया और अब ज़ीरो-वेस्ट कैफ़े का ओनर और केटरर है। इस कैफ़े में ताज़े फलों के रस और समोसा, वड़ा पाव, मैगी, वेजिटेबल रोल जैसे नाश्ते का सामान मिलता है। जो भी सूखा वेस्ट बनता है, वो रीसाइक्लिंग में जाता है। टेक्नॉलजी को अच्छे से जानने के कारण राजा अपने ज़ीरो-वेस्ट तरीक़ों को सोशल मीडियापे शेयर करता है जिसके लिए ग्राहकों के लिए ये प्रोसेस और भी इंटरेस्टिंग हो जाता है। आप उन्हें काऊ शेड में जा कर बायोएंज़ाइम बनाते हुए देख सकते हैं या कभी स्कूलों में ज़ीरो-वेस्ट केटरिंग करते हुए पा सकते हैं।
‘ईट राजा में झड़ी हुई पत्तियों से बने स्ट्रॉ, फलों के शैल के ग्लास मिलते हैं और खाद्य वेस्ट को या तो गायों को खिलाया जाता है या कम्पोस्ट में डाला जाता है ।.’
दोबारा इस्तेमाल करने वाले प्लेट और ग्लासों में परोसने से इसकी शुरुआत हुयी। फिर आया काम्पोस्ट। फिर स्टील और बाँस के स्ट्रॉ का प्रयोग हुआ जिनको जल्द ही गिरी हुई पत्तियों के स्ट्रॉ से बदल दिया गया। “मेरा पहला उद्देश्य स्ट्रॉ को हटा देना है लेकिन यदि कोई ज़ोर देता है तो मैं पत्तियों से बने स्ट्रॉ देता हूँ,” राजा कहते हैं और बताते हैं कि कैसे उनका ध्यान वेस्ट मैनेजमेंट के बारे में बात ज़्यादा और कैफ़े की चीज़ें बेचने पर कम रहता है। स्ट्रॉ के बाद विचार आया तरबूज़, अनानास और ख़रबूज़े की खोल में जूस परोसने का। "न सिर्फ ये देखने में सुंदर लगता है बल्कि ग्लास धोने के पानी को भी बचाता है। ये नॉन-सिट्रस वेस्ट या तो गाय को खिलाया जाता है या कॉम्पोस्ट पिट में डाला जाता है,” राजा बताते हैं। सिट्रस वेस्ट का तो बायोएंजाइम या फ़र्श या बर्तन धोने का प्राकृतिक साबुन बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। “कॉलेज में मैं पढ़ाई में ज़्यादा अच्छा नहीं था लेकिन फ़िलहाल मैंने बायोटेक के स्टूडेंट्स को बायोएंज़ाइम के बारे में लेक्चर दिया,” राजा, जो अपने लेक्चर देने से काफ़ी चकित हैं, बताते हैं कि नयी खोज ही कामयाब उद्यम की चाबी है। उनको बेंगलुरु के ज़ीरो वेस्ट को समर्पित समुदाय से काफ़ी मदद मिली है। “हर बार जब मैं असमंजस में आ जाता या मेरे रास्ते में बाधा आ जाती, मैं बस ज़ीरो-वेस्ट के व्हॉट्सैप ग्रूप में पोस्ट करता और मुझे दो मिनट से कम में उत्तर मिल जाता!”
‘फ्रूट शैल न केवल सुन्दर लगता है बल्कि रियूज़ेबल कांच और स्टील के ग्लास धोने के पानी को भी बचाता है।.’
राजा या ज़ीरो-वेस्ट राजा — जिस नाम से कहलाना राजा को पसंद है — का ये मानना है कि अकेले ज़ीरो-वेस्ट शॉप को सस्टेन करना मुश्किल हो सकता है। “मेरा मानना है कि यदि आप ऐसा कुछ करना चाहते हैं तो शुरुआत में कमाई का एक दूसरा जरिया ढूंढें। ज़ीरो-वेस्ट होने में बहुत आर & डी और काम लगते हैं। अक्सर लोग ऐसा काम शुरू तो कर लेते हैं लेकिन जल्द ही बंद भी कर देते हैं। आप उसे समय दें और तब तक दूसरा कमाई का जरिया बनाये रखें," राजा ने कहा। राजा ने अपने काम के साथ अलग-अलग शो और इवेंट भी होस्ट किये हैं और साथ ही शहरभर में ज़ीरो-वेस्ट पर टॉक्स दिए हैं। इस एंटरप्राइज की टैगलाइन ‘मॉम सोर्सेड फ़ूड’ है, जिसका मतलब राजा की माँ तथा उसके कैफ़े में काम कर रही दूसरी महिलाओं की कुकिंग से है। “विमेंस डे या मदर्स डे मनाने का कोई मतलब नहीं है अगर मैं अपनी माँ और आसपास की महिलाओं को एम्पावर न कर पाऊं। मैं सभी को कहता करता हूँ कि इस तरफ छोटे-बड़े प्रयास करें।"
‘राजा बेंगलुरु के ज़ीरो वेस्ट समुदाय को रास्ते में आयी बाधाओं से निपटने की मदद का श्रेय देता है।.’
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सुष्मिता मूर्ति एक फ़ीचर्स राइटर हैं। सस्टेनबिलिटी से सम्बंधित विषयों में रूचि रखती सुष्मिता एक अनुभवी प्रोक्रस्टिनेटर हैं, जो विडम्बना से अपनी जीविका समयसीमा के पीछे भागते हुए कमाती हैं।