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दो पहिया वाहन भारत की स्वछ परिवहन की दौड़ में सबसे आगे….अभी के लिए

दो पहिया वाहन भारत की स्वछ परिवहन की दौड़ में सबसे आगे….अभी के लिए

Girish Karkera
  • लंबे समय तक चार्ज रहने वाली बैटरी, हल्की, मज़बूत बनावट और रजिस्ट्री का झंझट भी कम, ये कुछ कारण है जिस वजह से सचेत यात्री कम गति वाले ई-स्कूटरों को अपना रहे हैं।

इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माताओं के संगठन, सोसायटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, (जी हाँ, ऐसा एक संगठन मौजूद है) दावा करता है कि भारत के कुल वाहनों की संख्या में १% वाहन इलेक्ट्रिक वाहन है। इन इलेक्ट्रिक वाहनों में ९५% से अधिक दो पहिया वाहन हैं। इस एकतरफ़ा आँकड़े का कारण है इलेक्ट्रिक दो पहिया वाहनों की लगातार सप्लाई कुछ छोटे एवं गौण व्यापारों द्वारा और बाद में बड़े व्यापरसंध भी इसमें शामिल हो गए।

भारत के कुल इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में ९५% से अधिक दो पहिया इलेक्ट्रिक वाहन हैं।

यह कहना उचित रहेगा कि ये सभी गतिविधियाँ पिछले दशक में हुई हैं। हालांकि भारत में इलेक्ट्रिक चौपहिया वाहन का एक उत्पादक पहले से ही मौजूद था (मेंन इलेक्ट्रिक, जो बाद में महिंद्रा ग्रुप द्वारा खरीद लिया गया), लेकिन दो पहिया वाहन बनाने वाले बड़े उत्पादक पेट्रोल पर चलने वाली हज़ारों मोटरसाइकिल बनाने में व्यस्त थे क्योंकि हमारी बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ इनकी मांग भी बढ़ती जा रही थी। जैसे-जैसे शहरों में भीड़ बढ़ती रही, लोगों की जीवनचर्या बदली और सब रोज़मर्रा के परिवहन में सुविधा और स्वाधीनता चाहने लगें। जल्द ही स्कूटर और मोटरसाईकल रोज़मर्रा के परिवहन का हिस्सा बन गए। यह मांग हमेशा से ही मौजूद थी पर कुछ दशकों पहले तक इस सप्लाई को पूरा कर पाना एक समस्या थी। पर अब ऐसा कुछ नहीं हैं, कारख़ानों में अब लाखों की जनसंख्या के लिए दो पहिया वाहनों का निर्माण आसानी से हो सकता है।

ऑटोमैटिक स्कूटर जल्द ही मोटरसाईकल के बाज़ार पर भारी पड़ गए। पर इन स्कूटरों में एक कमी थी- ईंधन को उपयोग करने योग्य ऊर्जा में बदलने में ये मोटरसाईकल जितने कुशल नहीं थे। कुछ उत्पादकों ने इस कमी में एक नया अवसर ढूंढा। उपभोक्ताओं कि एक विशेष संख्या थी जो स्कूटरों का उपयोग प्रति दिन केवल कम फ़ासलों के लिए करती थी - क्या इस निरंतर खर्चे को कम करना मुमकिन था? ऐसे ही सवालों और परिस्थितियों ने इलेक्ट्रिक स्कूटरों के लिए रास्ता बनाया।

Bajaj Chetak EV

ई स्कूटर पर कम खर्च करना पड़ता है- जीवाश्मी ईंधन इस्तेमाल करने वाले स्कूटर पर किए गए खर्च का १/१० हिस्सा। आज भी, इलेक्ट्रिक स्कूटर की रजिस्ट्री कराना अनिवार्य नहीं।

शुरुआती समय में, जब अधिकतम दो पहिया वाहन बनाने वाले बड़े उत्पादकों ने केवल पेट्रोल पर चलने वाले वाहन पर ही ध्यान केंद्रित रखने का निर्णय लिया, तब छोटे व्यवसाय और व्यापारियों को इस नई मार्केट में प्रवेश करने का मौका मिला। बढ़ते चीनी व्यापारों ने भी एक भूमिका निभाई। कुछ चीनी व्यवसायों ने भारतीय व्यापारों के साथ मिलकर आयतित पुर्ज़ों को भारत में एकत्रित कर यहाँ के बाज़ार में बेचना शुरू किया। ये कम दाम वाले इलेक्ट्रिक वाहन आज बड़े और छोटे शहरों में हर जगह नज़र आते हैं। कारण? क्योंकि ई स्कूटर पर कम खर्च करना पड़ता है- जीवाश्मी ईंधन इस्तेमाल करने वाले स्कूटर पर किए गए खर्च का १/१० हिस्सा। इसका मतलब ये हुआ कि छोटे व्यापारियों के लिए यह अच्छी बचत का अवसर है। बहुत से परिवारों में बच्चे इसे स्कूल और कॉलेज जाने ले लिए इस्तेमाल करते हैं। यही नहीं आज भी, इलेक्ट्रिक स्कूटर की रजिस्ट्री कराना अनिवार्य नहीं।

पर इसका हर एक पहलू बढ़िया नहीं था। अधिकतम स्कूटरों कि बनावट मज़बूत नहीं थी और ये सस्ते लेड-एसिड बैटरी से उत्पन हुई बिजली का इस्तेमाल करते थे जो केवल कम अवधि के लिए इस्तेमाल हो सकती है और ना ही ये अच्छी तरह रीसाईकल हो सकती है। और अगर यह रीसाईकल नहीं हो सकती इसका अर्थ है कि यह पर्यावरण के लिए हानिकारक है। हालांकि, ये स्कूटर हानिकारक धुआँ उत्पन्न नहीं करते। पर जब इस बाज़ार में और गंभीर व्यापारियों ने प्रवेश किया तो यह विशेषता इलेक्ट्रिक स्कूटरों की छवि के लिए बुरी साबित हुई। पर अब परिस्थितियाँ बदल रही हैं।

अधिकतम स्कूटरों कि बनावट मज़बूत नहीं थी और ये सस्ते लेड-एसिड बैटरी से उत्पन हुई बिजली का इस्तेमाल करते थे जो केवल कम अवधि के लिए इस्तेमाल हो सकती है और ना ही ये अच्छी तरह रीसाईकल हो सकती है।

TVS iQube

पर हाल ही में, दिल्ली में हुआ ऑटो एक्सपो भविष्य की ओर एक संकेत था। नई कंपनियों, जैसे ईवी, बर्ड इलेक्ट्रिक, से लेकर स्थापित संस्थाओं तक, जैसे कि हीरो इलेक्ट्रिक, ओकिनावा और पिआज्जिओ (वेस्पा) तक, इन सभी कंपनियों ने अपने कम एवं मध्य श्रेणी में मौजूद स्कूटरों को प्रदर्शित किया। इस वजह से केवल मूल विशेषताओं, जैसे कि बनावट, को ही बेहतरीन नहीं किया गया बल्कि यह दावा भी किया गया कि उपयोगिता जैसे मापदण्डों में ये पेट्रोल पर चलने वाले, ज़्यादा प्रचलित दो पहिया वाहन जितने ही लाभकारी और उपयोगी हैं। इस एक्सपो से बाहर भी बड़ी कंपनियों, जैसे कि टी.वी.एस. और बजाज, ने अपने सबसे पहले दो पहिया इलेक्ट्रिक वाहन प्रदर्शित किए। ऐसी बड़ी कंपनियों का इलेक्ट्रिक वाहन के बाज़ार में प्रवेश करना एक अच्छा संकेत है क्योंकि अब उपभोक्ता पर्यावरण को कम प्रदूषित करने वाले दो पहिया इलेक्ट्रिक वाहन पर गंभीरता से विचार करेंगे और इसे लंबे समय तक इस्तेमाल किए जाने वाले वाहन की तरह देखेंगे। उपयोगिता और विशेषताओं में बढ़ोतरी का अर्थ यह भी है कि ये वाहन ज़्यादा सचेत और विकसित उपभोक्ताओं की नज़र में आएँगे- जो की स्वच्छ परिवहन के विषय पर अधिक जागरूक हैं पर अब तक कुछ कर नहीं पाए क्योंकि बाज़ार में अच्छे विकल्प उपलब्ध नहीं थे।

आथर 450X (Ather 450X) और टी.वी.एस. आईक्यूब (TVS iQube) सबसे उत्तम क्वालिटी की लीथियम-ऑयन बैटरी का इस्तेमाल करते हैं। ये केवल कम वज़नदार ही नहीं हैं बल्कि काफ़ी समय तक चार्ज भी रहते हैं। इनके इस्तेमाल किए जाने की अवधि भी बेहतर है।

Ather 450X

पिछले कुछ सालों में इलेक्ट्रिक स्कूटर के उत्पादन गतिविधियों में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है इसका श्रेय बैटरी के तकनीकी विज्ञान में हुई प्रगति को भी जाता है। अधिकतम आधुनिक स्कूटर जैसे की आथर 450X (Ather 450X) और टी.वी.एस. आईक्यूब (TVS iQube) सबसे उत्तम क्वालिटी की लीथियम-ऑयन बैटरी का इस्तेमाल करते हैं। ये केवल कम वज़नदार ही नहीं हैं बल्कि काफ़ी समय तक चार्ज भी रहते हैं। इनके इस्तेमाल किए जाने की अवधि भी बेहतर है, जिसका अर्थ है कि इसके हिस्सों को रीसाईकल करने में कम परिश्रम करना होगा। वर्तमान काल में इन इलेक्ट्रिक स्कूटरों को चार्ज होने के लिए ४-५ घंटे चाहिए पर ये स्कूटरों के उपभोक्ताओं के लिए समस्या की बात नहीं है, क्योंकि स्कूटरों का उपयोग अधिकतम समय नहीं किया जाता। वहीं दूसरी ओर चार्ज होने के लिए ४-५ घंटे का समय इलेक्ट्रिक कारों के उपभोक्ताओं के लिए समस्या हो सकती है, क्योंकि कारों का उपयोग हर दिन लम्बे समय के लिए होता है। यही नहीं, आथर (Ather) जैसी बड़ी कंपनियाँ चार्जिंग के लिए ऐसी मूलभूत सुविधाओं के निर्माण में लगी हुई हैं जहाँ वाहन जल्दी से चार्ज किया जा सके, ये उन शहरों में हो रहा है जहाँ उनके वाहन बिकते हैं। रेस्टोरेंट्स, मॉल और सिनेमा घर जैसे स्थान इन चार्जिंग पॉइंट्स के निर्माण के लिए अच्छे स्थान हैं, जहाँ यात्री अपना वाहन जल्दी से चार्ज कर सकते हैं।

आथर (Ather) जैसी बड़ी कंपनियाँ चार्जिंग के लिए ऐसी मूलभूत सुविधाओं के निर्माण में लगी हुई हैं जहाँ वाहन जल्दी से चार्ज किया जा सके, ये उन शहरों में हो रहा है जहाँ उनके वाहन बिकते हैं।

क्या भविष्य में इलेक्ट्रिक दो पहिया वाहन पेट्रोल पर चलने वाले दो पहिया वाहनों की जगह ले पाएँगे? शायद नहीं। पिछले कुछ सालों में बैटरी की क्वालिटी तो बेहतर हुई है पर आज भी ये केवल छोटे फ़ासलों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इलेक्ट्रिक स्कूटरों के लिए ही अच्छी है। ऐसा खासकर इसलिए क्योंकि चार्जिंग की सेवा शहरों के केवल कुछ ही केंद्रों में मौजूद है। चार्जिंग सुविधाओं को बढ़ाने के लिए सरकारी और निजी उद्यमों, दोनों को ही निवेश करना होगा। पर चौपहिया इलेक्ट्रिक वाहन की तुलना में, दो पहिया इलेक्ट्रिक वाहन की उपयोगिता इसे एक साध्य और बेहतरीन विकल्प साबित करती है। इसी वजह से इलेक्ट्रिक दो पहिया वाहन, खासकर स्कूटर, भारत में हो रहे स्वछ और शून्य उत्सर्गन परिवहन के बदलाव में सबसे आगे रहेंगे और शायद हमारे जैसे अन्य देशों में भी।

एम्पेयर ज़ील (Ampere Zeal)

बाज़ार में क्या मौजूद है
नीचे लिखी गई सूची में दो पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादक और उनके द्वारा बनाए गए प्रमुख वाहनों के नाम मौजूद हैं:
आथर 450X (Ather 450X) : बेंगलुरु में आधारित संस्था आथर एनर्जी (Ather Energy) का यह दूसरा स्कूटर है, यह भारत का सबसे तेज़ स्कूटर है। अनुमान यह है कि इस वाहन की सैद्धांतिक सीमा ११५ की.मी. है। उत्पादक यह दावा करते है कि ये आसानी से ८०-८५ की.मी. तक कि दूरी तय कर सकता है।

₹१.४५ लाख

ओकिनावा आई- प्रेज़ (Okinawa i-Praise) : यह गुरुग्राम में स्थापित कंपनी द्वारा उत्पादित वाहन है और ये उनका प्रमुख वाहन है। इस कंपनी के संस्थापक, दो पहिया वाहन का उत्पाद करने वाली एक बड़ी कंपनी में काम कर चुके हैं। कंपनी यह दावा करती है कि पूरे भारत में यह इकलौता इलेक्ट्रिक स्कूटर है जो १६५ कि.मी. की दूरी तय कर सकता है, जो अब तक आए स्कूटरों में सबसे ज़्यादा है। यह ३ से ४ घंटों में पूरी तरह चार्ज हो सकता है।
₹७९,०००

एम्पेयर ज़ील (Ampere Zeal): यह चेन्नई में स्थापित ग्रीव्स ग्रुप का हिस्सा है। यह उन कंपनियों में से हैं जिन्होंने इस बाज़ार में धीमी गति वाले स्कूटरों के साथ सबसे पहले प्रवेश किया था। इनका ये प्रमुख वाहन ७०-७५ की.मी. तक कि दूरी तय कर सकता है। इसकी बैटरी वाहन से अलग हो सकती है जिसे मिंटों में पूरी तरह चार्ज की गई बैट्री के साथ बदला जा सकता है, बिना कोई इंतज़ार किए।
₹७७,०००

हीरो E5 फ़ोटॉन 48V (Hero E5 Photon 48V) : यह उन कंपनियों में से है जिन्होंने सबसे पहले बैटरी से ऊर्जा लेने वाली साईकल का निर्माण किया। हीरो कंपनी के पास अलग-अलग श्रेणी के इलेक्ट्रिक स्कूटर हैं। इनका ये प्रमुख इलेक्ट्रिक स्कूटर ८५-११० की.मी. की दूरी तय कर सकता है पर यह निर्भर करता है कि आप कौन से मोड पर वाहन का इस्तेमाल कर रहें हैं।
₹६६,०००

बजाज चेतक इलेक्ट्रिक (Bajaj Chetak Electric) : चेतक भारतीय दो पहिया वाहन के उद्योग में एक प्रसिद्ध नाम है। बजाज ने इस स्कूटर के साथ स्वच्छ और शून्य उत्सर्जन परिवहन बाज़ार में प्रवेश किया। अच्छी बनावट और ८० कि.मी. तक कि दूरी तय करने वाला, चेतक इलेक्ट्रिक एक मज़बूत बनावट वाला स्कूटर है।
₹१.१५ लाख

टी.वी.एस. आईक्यूब (TVS iQube) : टी.वी.एस. ने हाल ही में इलेक्ट्रिक बाज़ार में प्रवेश किया है, टी.वी.एस. का यह सबसे आधुनिकतम और उत्तम स्कूटर पूरी तरह चार्ज होने पर ७५ की.मी. तक कि दूरी तय करने का दावा करता है और इसकी अधिकतम गति ७८ की.मी. प्रति घंटा है। इसे चार्ज करने में ४-५ घंटों का समय लगता है।
₹१.१५ लाख

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