अपने #लॉकडाउनआर्ट को सस्टेनबल बनाइए
- कोविड-19 महामारी के दौरान हम में से बहुत से लोगों ने कला से जुड़ना पसंद किया परन्तु हमें यह एहसास नहीं है की कला सामग्री का पर्यावरण पर एक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रस्तुत हैं कुछ उपाय जिनसे आप इन गतिविधियों को अधिक पर्यावरण हितैषी बना सकते हैं।
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कोविड-19 के परिणामस्वरूप हुआ लॉकडाउन हम में से बहुत सारे लोगों के लिए स्वयं से बाहर आने, विश्राम करने और खोई हुई ताज़गी को लौटाने का समय रहा है। अपने व्यस्थ शहरी जीवन में हमें इससे पहले कभी उन कला रूपों में संलग्न हो जाने का समय नहीं मिला था जिन्हें हमने बड़ा होने के साथ साथ अपने जीवन से जुदा कर दिया था। परिणामतः हम में से बहुतों ने अनायास स्कैचिंग, डूडलिंग और पेंटिंग करना पसंद किया।
जब हम किसी कला निर्माण के बारे में सोचते हैं तो हम अधिकता में प्रवृत्त हो जाते हैं और सुन्दर स्टिशनरी, ब्रशों, पैन, सजावटी सामान और दिखावटी गहनों के ढेर खरीद लेते हैं। इस सबके बीच सस्टेनेबिलिटी के लक्ष्य इतनी आसानी से छोड़ दिए जाते हैं जिस प्रकार प्याज़ के छिलकों का एक बंडल खाद में डाल दिया जाता है।
यह सच है कि कला का यह कार्य अपने साथ अपने कार्बन पदचिह्न को भी लेकर आता है। अधिकतर रंग रसायनों से निर्मित होते हैं अथवा पशुओं से उत्पन्न रंगों से। यहां तक कि कागज़ बनाने के लिए भी ब्लीचिंग और श्वेतिकरण प्रक्रिया की बड़ी मात्रा की आवश्यकता पड़ती है। स्कैच पैन, ग्लिटर पैन और दूसरी आकर्षक वस्तुएं तो वास्तव में बेहद हानिकारक हैं।
परन्तु कला को पर्यावरण के लिए कम से कम हानिकारक बनाने के भी तरीके हैं। प्रस्तुत हैं कुछ ऐसे तरीके जो आपकी कला को यथा संभव पर्यावरण हितैषी और सस्टेनेबल बनाने के लिए आपकी सहायता करेंगे:
1. प्राकृतिक बनो
आपको और अधिक रंगीन रसायनों की प्लास्टिक ट्यूब्स खरीदने की आवश्यकता नहीं है। हमने एक प्राकृतिक रंगों की कलाकार 'नंदिता रामराज' से बात की और उन्होंने हमें बताया कि प्राकृतिक रंग कितने सरल, सस्ते और लाभप्रद हैं। ये रंग हमारे आस पास की लगभग सभी जड़ी बूटियों, सब्ज़ियों और फूलों द्वारा बन सकते हैं। कुछ सर्वव्यापक स्रोत हैं जिनमें पीले रंग के लिए हल्दी, गुलाबी रंग के लिए चुकंदर और भूरे रंग के लिए मिट्टी या कॉफ़ी शामिल हैं। जैसे कि नंदिता संकट करती हैं, "हमारे बहुत से पारंपरिक कला रूप जैसे 'मधुबनी' और 'वर्ली' अपनी कला में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रंगों और खनिज पदार्थों का प्रयोग करते हैं। प्राकृतिक रंगों की कार्यशाला के विषय में जानकारी लेने के लिए आप नंदिता के इंस्टाग्राम पेज पर का सकते हैं।
2. उचित सामग्री को चुनिए
जब बात कागज़ की हो तो अपेक्षाकृत अधिक सस्टेनेबल किस्म का कागज़ चुनें। अनेक अंतरराष्ट्रीय पेपर ब्रांड जैसे 'डालर रौनी', 'स्ट्रॉथमोर' और 'फ़ैबरियानो' पुनर्नवीकृत या बांस का कागज़ उपलब्ध कराते हैं। 'खादी पेपर' एक भारतीय कंपनी द्वारा रद्दी कपड़े से बनाई गई कागज़ की एक नवीन युक्ति है। कुछ दक्षिण भारतीय राज्य भी हाथी के गोबर से कागज़ का निर्माण कर रहे हैं। रोपण योग्य पेंसिलें और पुनर्नवीकृत कागज़ अन्य बड़ा विकल्प है। अब जब आप ऐसा कर रहे हैं तो सेबल और घोड़े के बालों से बने पारंपरिक पेंट ब्रशों की अपेक्षा क्रूरता मुक्त (क्रुएल्टी फ़्री) कृत्रिम ब्रश क्यूं ना खरीद लें?
3. बुद्धिमत्ता पूर्ण चुनाव कीजिए
आपके कुछ चातुर्यपूर्ण चुनाव कार्बन पदचिह्नों के एक बड़े भाग को मिटा सकते हैं। यदि आपको रंगों का एक सेट खरीदना है तो एक ऐसी पेंटिंग शैली का चुनाव कीजिए जिसमें कम से कम सामग्री का इस्तमाल हो। उदाहरणार्थ ऑयल और एक्रिलिक रंगों की अपेक्षा साधारणतः पानी के रंग अधिक सस्टेनेबल हैं क्योंकि इनमें रासायनिक सामग्री की आवश्यकता कम होती है।
- पुनर्प्रयोग! यदि आप एक साधारण पेंटिंग बनाने जा रहे हैं तो आप अपने भतीजे से रंग मांग सकते हैं। अपने बचपन के बचे हुए रंगों का पुनर्प्रयोग करें। पेंटिंग के कार्य में पुराने कपड़ों और पुराने बर्तनों का प्रयोग करें।
- वाहन और पैकेजिंग खर्च को बचाने के लिए स्थानीय दुकानों से सामान खरीदें।
- यदि आप शुरुआती कलाकार हैं तो अपने लिए रंगों कि छोटी प्लेटें खरीदिए। उनके बड़े सेट तब खरीदें जब आपने इस कला रूप से जुड़ने का निर्णय कर लिया हो।
- ग्लिटर युक्त कला सामग्री से बचें क्योंकि वे माइक्रोप्लास्टिक को बढ़ावा देने के लिए एक बड़े सहायक हैं।
4. बच्चों के लिए इसे आनन्द का विषय बनाएं
बच्चों के लिए कला प्रायः उन्हें स्वस्थ रखने का और उनके भीतर की रचनात्मकता को बनाए रखने का एक साधन है। इस विचार के साथ उनके लिए स्कैच पैन, ग्लिटर पैन और रंगों की एक भारी मात्रा खरीदने की आवश्यकता नहीं है।
- हल्दी पाउडर और सफ़ेद छोले के आटे, पिसे हुए चुकंदर और स्ट्रॉबेरी, मेहंदी और कॉफ़ी आदि के बने प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करें। इनके साथ खाद्य सुरक्षा का लाभ भी जुड़ा हुआ है।
- प्रकृति में पाई जाने वाली पंखुड़ियों और पत्तियों जैसी सामग्री का प्रयोग करें। पत्तियों से कंफ़ेद्दी बनाने के लिए इनमें छेद करके उन्हें गोंद की अपेक्षा पिसे हुए उबले चावलों से बने गोंद से पेपर पर चिपकाएं।
- प्राकृतिक पदार्थों जैसे कंकड़ों, पिस्ते के छिलकों और अंडे के छिलकों को पेंट करें।
- स्टैम्प पेंटिंग के लिए सब्ज़ियों का प्रयोग करें। आधी कटी हुई भिंडी से एक खूबसूरत फूल की रचना की जा सकती है। जबकि आलू का प्रयोग विभिन्न प्रकार की आकृतियों जैसे पत्तियां, सितारे और गोले काटने के लिए किया जा सकता है।
- मैदा, नमक और तेल की सहायता से गृह निर्मित क्ले बनाएं। उसे चमकदार बनाने के लिए उसमें आप प्राकृतिक रंग और खाद्य रंगों को भी मिला सकते हैं।
5. धरती की कला का सृजन कीजिए
आपकी कला को पीढ़ियों के लंबे समय तक सुरक्षित रखने की आवश्यकता नहीं है। कई बार सौंदर्य अल्पकालिक होता है। कला को ध्यानावस्था के, क्षणिक सौंदर्य कि रचना के, और अपने प्रियजनों से जुड़ने के एक माध्यम के रूप में देखा जा सकता है। यदि आपके ऐसे विचार हैं तो धरती की कला आपके लिए सरल है।
केवल एक पार्क में या अपने पिछले आंगन में कदम रखीए, वहां पत्तियां, टहनियां, फूल और पत्थर एकत्र करके एक बड़े मंडल का निर्माण कीजिए अथवा समतल कंकड़ों को एकत्र करके एक 'डोमिनो-टाइल आर्ट' की रचना कीजिए। आप समुद्र तट पर भी जा सकते हैं और रेत का महल बना सकते हैं। जो भी आप चुनेंगे वह प्रकृति के लिए एक सौंदर्य भरा सम्मान होगा।
यशोधरा एक आई. टी प्रोफेशनल हैं और हालही में माँ बानी हैं। इसके अलावा उन्हें बिल्लियों से बहुत प्यार हैं और फिलहाल वह मुंबई में रह रहीं हैं। जब उन्हें अपने शिशु अपने शिशु के पीछे भाग-दौड़ से समय मिलता हैं, तब वह पढ़ती हैं, लिखती हैं और अपनी नींद पूरी करने की कोशिश करती हैं।