स्वच्छता का संग्राम : एथिको की कहानी
- Ethico founders Indranil and Rabia, together also the founders of the #MahimBeachCleanUp, share their trials and triumphs of exposing one of Mumbai’s neglected beaches from under piles of trash
Founders of #MahimBeachCleanUp
यदि आप भी हमारी तरह पैट-पेरेंट्स हैं तो आप भी बीच के किनारे रहने के आकर्षण को अच्छे से जानते होंगे। ऐसे शहर में जहाँ इंसानों के चलने के लिए ही जगह मिलना मुश्किल है, बीच पर अपने पैट्स को टहलाना और भी ख़ास हो जाता है। सीलो और गबरू फाइनली खुले में दौड़ लगा पाएँगे, ऐसा हमने सोचा था। लेकिन हमारे नेबरहुड बीच की स्थिति काफ़ी अलग नज़र आयी। पहली बात, वहाँ बीच जैसा कुछ था ही नहीं — साढ़े तीन फ़ुट ऊँचे मरीन लिटर के ढेर में बीच की रेत दिखाई ही नहीं देती थी। आप किसी भी तरह के कचरे के बारे में सोचें, वे हमारे इस ‘बीच’ पर ज़रूर पड़ा हुआ दिखता। प्लास्टिक की बोतलें/बैग, बैकपैक, जूते, स्ट्रॉ, चश्मे, टूथब्रश, सिरिंज, दूध की थैलियां, टूटे हुए फ़ोटोफ़्रेम, किताबें, खिलौने, कपड़े — ये लिस्ट अंतहीन है।
हम कहाँ से शुरू करते?
मूव इन होने के बाद हमारी पहली सोच वही थी जो हर रिसपोन्सिबल नागरिक की होती — कि हम बीएमसी हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराएँ। हमने ऐसा ही किया। एक या दो बार नहीं, कम से कम दर्जनों बार। लेकिन जब वहाँ से कोई भी प्रॉपर जवाब नहीं आया तो हम समझ गए कि ये लड़ाई ख़ुद ही लड़नी है। हम दोनों ही सफ़ाई के मामले में बहुत फिनिकी हैं और इसीलिए ये मसला हमारे लिए अर्जेंट हो गया। पहला दिन बहुत ही मुश्किल था। हमने अपने रबर ग्लव व गमबूट तो पहने हुए थे लेकिन हम पूरी तरह से तैयार नहीं थे। हम उस कचरे के ढेर के सामने आश्चर्यचकित से खड़े हो गए। फिर हमने सोचा की हम छोटे लेवल पर शुरुआत करते हैं। हमने एक हिस्सा चुना और अपनी पूरी एनर्जी उसे साफ़ करने में लगा दी। दो घंटे बाद हमें कुछ अलग तो नहीं दिखा लेकिन उस हिस्से में पानी की एक पतली धार बह निकली। एक स्क्वेयर मीटर के दायरे में ही सही लेकिन ऐसा लगा की शायद ये बीच फिर साँस लेने लगा है।
‘एक स्क्वेयर मीटर के दायरे में ही सही लेकिन ऐसा लगा की शायद ये बीच फिर साँस लेने लगा है.’
लोग जुड़ते गए, कारवाँ बढ़ता गया
हम दोनों को इस तरह घुटने तक कचरे के ढेर में खड़ा देख कर हमारी बिल्डिंग से कुछ लोग आ कर हाथ बटाने लगे। बात आस-पास में फैल गयी और लोग जुड़ने लगे। बीच के किनारे बसा कोली गाँव भी शामिल हो गया। जल्द ही हमने सोशल मीडिया पर एक पेज बना लिया और बीच की सफ़ाई हमारे रूटीन का एक हिस्सा, हमारी आदत और जीवनशैली बन गया। हमारे सारे वीकेंड प्लान इस काम को समर्पित हैं। महीने गुज़रते गए और स्कूल, कॉलेज और संस्थाएँ हमारे साथ बड़ी संख्या में वालंटियर करने लगीं। कुछ वालंटियर्स तो नियमित रूप से काम करने लगे। अनजान लोगों का एक यूनिफाइड कॉमन गोल — साफ़ समुद्रों — के लिए साथ आना एक बहुत सुन्दर एहसास है।
‘हम दोनों को इस तरह घुटने तक कचरे के ढेर में खड़ा देख कर हमारी बिल्डिंग से कुछ लोग आ कर हाथ बटाने लगे। बात आस-पास में फैल गयी और लोग जुड़ने लगे.’
एक दिलचस्प सफ़र
पिछले ढाई साल में हमने बीच से १००० टन (१०,००,००० लाख) किलो कचरा हटा दिया है। कुछ प्लास्टिक वेस्ट रीसाइक्लिंग के लिए भेजा जा चुका है। हम इस प्लास्टिक को रीसाइक्लि करने के नए-नए तरीक़े ढूँढ रहे हैं जिससे लैंडफ़िल में ये कचरा कम से कम जाए। ये अपनेआप में रिवार्डिंग है कि अब बीच थोड़ा साफ़ नज़र आता है और इसमें इतने सारे लोगों का योगदान है । जून 2018 में यू एन एनवायरनमेंट ने हमारे प्रयास को फेलिसीटेट कर हमें मान दिया, हम इसके लिए बहुत थैंकफुल हैं।
क्लीन-अप का एक साल मनाने के लिए हमने 'ओपनडोर फ़ेस्ट' लॉन्च किया। ओपनडोर एक पहल है जो हमारे दिल के बहुत क़रीब है। सिटिज़न्स को अपने पब्लिक प्लेसेस से फिर से जोड़ने का प्रयास है। इसके अंतर्गत इन स्थानों को कल्चरल हब के रूप में विकसित किया जाएगा जहाँ संगीत, नृत्य, कला आदि फ़ीचर किए जाएँगे। ये खुली स्पेसेस निःशुल्क रूप से सभी के लिए हैं । ये ओपन स्पेसेस का कल्चर रिवाइव करती हैं और इनके मेंटेनेंस के लिए सभी सिटिज़न्स को बराबर भागीदार महसूस कराती हैं। हम अभी तक दो ओपनडोर फेस्ट के एडिशन माहिम बीच पर ऑर्गनाइस कर चुके हैं और आगे भी कला और संगीत से रोशन सुबहें और शामें देखना चाहते हैं।
‘पिछले ढाई साल में हमने बीच से १,००० टन (१०,००,००० लाख किलो) ट्रैश हटा दिया है.’
जीवन की सीख
बीच की सफ़ाई ने हमें समुद्र में जा रहे लिटर के मैगनेट्यूड से रूबरू कर दिया है। मरीन लाइफ पर मँडरा रहे ख़तरे और हमारे अपने कंसम्पशन के बारे में भी हम अवेयर हो गए हैं। इस एफ़र्ट ने हमारा विश्वास विलपावर और डैडिकेटिड होकर एकजुट काम करने वालों की शक्ति में फिर से जगा दिया है। इंस्पिरेशनल स्टोरीज़ हमारे चारों ओर हैं लेकिन हमें एन्वॉयरन्मेंटलिस्ट और पोलर एक्स्प्लोरर रॉबर्ट स्वान की ये बात बहुत हिम्मत देती है, “हमारे प्लैनेट को सबसे बड़ा ख़तरा इस बिलीफ़ से है की इसे कोई और बचाएगा।”
‘बीच की सफाई ने हमारा विश्वास विलपॉवर और डैडिकेटिड होकर एकजुट काम करने वालों की शक्ति में फिर से जगा दिया है .’
आगे क्या?
हमारे समुद्रों की हालत देखते हुए तो क्लीनिंग प्रोसेस का कोई अंत नहीं तय किया जा सकता है। हमारे शहर का वेस्ट मिट्ठी नदी और दूसरे नालों के साथ समुद्र में ही आ रहा है। सस्टेनेबल और डैडिकेटिड प्रयास ही इस समस्या का समाधान हैं। सबसे ज़रूरी है माईंडसेट में शिफ्ट लाना। हमारे अभी के प्रयासों में फ़िलहाल चल रहे क्लीन-अप के अलावा लोकल अधिकारियों से ज़्यादा मदद प्लेज करवाना, सरकार से मिट्ठी नदी की समस्या को फिक्स करने की टाइमलाइन लॉक करवाना, सफ़ाई के लिए मॉडर्न उपकरणों के इंतज़ाम के लिए पूल इन करना, प्लास्टिक के नुक्सान और रीसायकल के फायदों के बारे में अवेयरनेस लाना है। ये लम्बा प्रोसेस है और हमें आशा है की इस रास्ते पर और भी पार्टनर्स जुड़ते जाएंगे।
एथिको लिविंग
हम सस्टेनेबल रास्ता अपनाने वालों के लिए सुविधाजनक से जागरूक जीवनशैली के परिवर्तन को आसान बनाने चाहते हैं। इस बात ने एथिको के बीज बोए थे। एथिको से हम लोगों को पर्यावरण पर हमारे प्रभाव के बारे में समझना चाहते हैं, हमारे समय की पर्यावरण की समस्याओं के बारे में जागरूक कराना चाहते हैं और लोगों को समझदारी से उपभोग करने में मदद देना चाहते हैं। ये एक लम्बी प्रक्रिया है और हम आशा करते हैं कि हमारे साथ रास्ते में और लोग जुड़ेंगे।
मिलते हैं आपसे माहिम बीच पर।
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