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पर्यावरण संदेहवादी लोगों से कैसे बात करें

पर्यावरण संदेहवादी लोगों से कैसे बात करें

Team Ethico
  • पिघल रहे आइसबर्ग और मछलियों के प्लास्टिक से भरे पेटों के बावजूद कुछ लोग पर्यावरण की बात को खारिज कर देते हैं। उनसे स्मार्ट तरीके से बात करें।

हमारे युग की यूं तो बहुत परिभाषाएं हैं लेकिन एक जो हर थोड़े दिन में दोहराई जाती है वो है रोष - एक तरह विरोधात्मक प्रवृति जो अक्सर किसी न किसी जगह दिख जाती है। कितनी बार हम शांत मन से डिनर टेबल पर परिवार या मित्रों के साथ बैठे हुए होते हैं और अनायास ही बातें कहाँ से कहाँ पहुँच जाती हैं - खाने के बाद परोसा गया मीठा इन बातों के कारण फीका पड़ जाता है। और यदि हम सोशल मीडिया की बात करें तो वहाँ के तो क्या कहने। अनजान लोग ऐसे मुठभेड़ में जुट जाते हैं कि लगता है अगर वे सच में आमने-सामने होते तो स्थिति काबू के परे होती।

इमेज सोर्स: पेक्सेल्स

इस तरह के माहौल में, जहां मतभेद लाने को अपना हक़ माना जा रहा है, किसी भी विषय को समझाने की पहल करना अपनेआप में विस्फ़ोटक बन जाता है। और विशेषकर वो बातें जो नैतिकता और जागरूकता के बारे में होती हैं, उनका तो ज़िक्र ही दुर्लभ है। इस माहौल में पर्यावरण रक्षण के बारे में संशयवादी लोगों को बताना बहुत विचार और संयम का काम है। तो ये पर्यावरण संदेहवादी लोग कौन हैं? यदि गूगल पर खोजा जाए तो एनवायरनमेंटल स्केप्टिसिस्म वो धारणा है जो मानती है कि एन्वायरनमेंटलिस्ट द्वारा किये दावे या तो झूठ हैं या बहुत बढ़ा-चढ़ा कर की गयीं हैं। यानि वो लोग जो पर्यावरण को पहुँच रही क्षति को या तो मानते नहीं है या मानना नहीं चाहते। लेकिन फिर भी पर्यावरण की बात करनी होगी।

ये कुछ बातें हैं जिन्हें ध्यान में रख कर सांप भी काबू में आ सकता है और लाठी को इस्तेमाल करने की ज़रुरत भी नहीं पड़ेगी:

  1. आराम से बात करें, अपना ज्ञान न दिखाएँ

पर्यावरण रक्षण की बात करते हुए अपने ज्ञान और आदर्शों का प्रदर्शन करना बहुत आसान है। चाहे बात कितनी भी सही हो, किसी से भी अहंकार से बात करने से कुछ भी हासिल नहीं होता है। अपने विचारों को 'विचारों' की तरह रखें, सारे स्टैटिस्टिक्स सामने रखें, लेकिन कभी भी नैतिक रूप में बेहतर होने का दावा नहीं करें।

  1. 'क्लाइमेट चेंज' या 'ग्लोबल वॉर्मिंग' जैसे शब्द नहीं कहें

आप ये ही बातें बताना चाह रहे हैं लेकिन इस शब्दों से आप की बात बहुत अकादमिक या हैवी ड्यूटी लग सकती है। और बात शुरू होने के पहले ही खारिज हो सकती है। कॉमन शब्द जैसे कि प्रदूषणप्रदूषण, एयर क्वालिटी, गार्बेज, ट्रैश आदि काम में लें, इससे बात ज़्यादा रिलेटेबल भी होगी।

  1. याद रखें, आप लड़ नहीं रहे हैं

ऐसे समय में जब कोई पर्यावरण की बातों को खारिज कर देता है जब कि साफ़ दिख रहा है कि आये दिन मरी हुई मछलियों के पेट में प्लास्टिक पाया जाता है और मैन्ग्रोव उजाड़े जाते हैं, चुप रहना मुश्किल है। लेकिन आपको ठन्डे दिमाग से काम लेना चाहिए और फ़ैक्ट्स के साथ बात आगे बढ़ानी चाहिए। ध्यान रखें, आप लोगों को समझाना चाहते हैं, मुश्किल से दूर नहीं करना चाहते।

  1. उन्हें अपने पड़ोस के क्लीनअप एफ़र्ट में बुलाएँ

बहुत सारे सिटिज़न ग्रुप बीच क्लीन-अप, मैन्ग्रोव क्लीन-अप, लेकक्लीन-अप आदि करते हैं। ये दिखा कर लोगों को जागरूक किया जा सकता हैकि कितना नुकसान हुआ है। 

  1. बात को उनके नज़दीक लाएं

कभी-कभार ऐसे टॉपिक ज़्यादा समझ में आते हैं जिनका सीधा प्रभाव दिखता हो। अपनी बात को लोकल प्रॉब्लम के रूप में रखें। ऐसे मुद्दों की बात करें जो समुदाय या पड़ोस पर प्रभाव डालते हों।

  1. पॉज़िटिव बातें करें

भले ही हम चाहें कि लोग  मुश्किल की हद को समझें और मज़बूत तरीके अपनाएँ, पर्यावरण की बात को लॉस्ट कॉज़ की तरह दिखाने से मेहनत करने की इच्छा कम होती है। ऐसे तरीके बताएँ जिनको छोटे-छोटे रूप में अपनाया जा सके और ये पर्यावरण की बातें सबको साथ में ले कर चलें और पॉज़िटिव हो सकें।

Ethico India podcast link: https://open.spotify.com/show/0Vb9kpUhYRil8f3F7lhRhh

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