कम्पोस्टबल, ईको-फ्रेंडली, बायोडिग्रेडेबल- शब्दों में मत उलझना।
- ज्ञान और जानकारी, सस्टेनेबल जीवनचर्या की ओर पहला कदम है। पूनम बीर कस्तूरी, कुछ प्रचलित शब्दों के प्रभाव और अर्थ को समझने में हमारी मदद करती हैं।
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पूनम का मानना है कि, हाइजीन या स्वच्छता से जुड़े अधिकतर मुद्दे, हम अपने कचरे को कैसे फेंकते है, इससे उत्पन्न होते हैं।इंडस्ट्रियल, यानी औद्योगिक, डिज़ाइनर रह चुकी पूनम अब एक कम्पोस्टिंग विशेषज्ञ है। ज़िम्मेदार तौर तरीकों से कचरे को कैसे डिस्पोज़ करे, इस विषय पर वह जागरूकता फैला रही है और गृहस्तियों को सस्टेनेबल सुझावों से आगाह कर रही है।
क्या आपने कभी सोचा हैं कि जो शब्द ईको-फ़्रेंडली यानी पर्यावरण हितैषी समुदायों में प्रचलित हैं, उनके सटीक अर्थ क्या हैं एवं वे किन विचारों से जुड़े हैं? यह एक ऐसा क्षेत्र जो हर समय विकसित हो रहा है। उपभोक्ता होने के नाते हमें खुद को ऐसी जानकारी से परिचित रखना चाहिए जो हमे सचेत सेवन करने में मदद करे।
१. कम्पोस्टबल, ईको-फ्रेंडली, बायोडिग्रेडेबल, सस्टेनेबल और ऑर्गेनिक जैसे शब्द, ज़्यादातर सचेत एवं जागरूक सेवन के संदर्भ में प्रयोग किए जाते हैं। इनके सटीक अर्थ क्या हैं और क्या ये विनिमेय हैं/ क्या ये एक दूसरे के स्थान पर प्रयोग किए जा सकते हैं?
जी हाँ, दुर्भाग्यवश हम इसी तरह इन शब्दों का प्रयोग करते हैं। 'बायोडिग्रेडेबल' उन पदार्थों के लिए उपयोग किया जाता है जो प्रकृति में मौजूद तत्वों की वजह से आसानी से खंडित हो सके। तत्व जैसे - फनगायी यानी फफूंद, बैक्टीरिया जैसे जीवाणु या फिर प्रकृति में हो रही अन्य जैविक क्रियाएं। दिलचस्पी की बात यह है कि प्लास्टिक भी खंडित हो सकता है पर इसे खंडित होने में कई वर्ष लगते है और इस दौरान कई ज़हरीले एवं हानिकारक पदार्थ उत्पन्न होते हैं। इसलिए इस शब्द को रोज़मर्रा के प्रयोग में, प्लास्टिक के साथ नहीं जोड़ा जा सकता।
'ऑर्गेनिक' उन उत्पादों के लिए प्रयोग किया जाता है जिन में केमिकल्स यानी रासायनिक एवं नकली पदार्थों का बिल्कुल उपयोग न किया गया हो या फिर बड़ी मात्रा में उपयोग ना किया गया हो। उदाहरण के लिए, 'ऑर्गेनिक खाना' वे खाद्य पदार्थ हैं जो किसी भी रासायनिक खाद या कीटनाशक दवाइयों के उपयोग के बिना उगाए गए हो। ऑर्गेनिक कॉटन यानी रुई, ऑर्गेनिक बाँस, ऑर्गेनिक खिलौने - इन सबको बनाने की भी यही प्रक्रिया है।
'कम्पोस्टबल' वे पदार्थ है जो एक नियंत्रित माहौल या पर्यावरण में खंडित किए जा सके। कम्पोस्टिंग सिस्टम घरों में हो सकते हैं या बड़े उद्योगों में भी। कम्पोस्टिंग क्षेत्र में ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न की जाती हैं, जिससे बायोडीग्रेडेशन यानी पदार्थों की खंडित होने की प्रतिक्रिया, जल्दी से हो सके।
‘बायोडिग्रेडेबल' उन पदार्थों के लिए उपयोग किया जाता है जो प्रकृति में मौजूद तत्वों की वजह से आसानी से खंडित हो सके। तत्व जैसे - फनगायी यानी फफूंद, बैक्टीरिया जैसे जीवाणु या फिर प्रकृति में हो रही अन्य जैविक क्रियाएं।.’
२.कुछ ऐसे उदाहरण दीजिए जहाँ पर ये शब्द आम उपभोक्ता को भ्रमित या 'ग्रीन वॉश' कर सकते है।
काफ़ी बार 'बायोडीग्रेडेबल' शब्द कुछ प्रकार के प्लास्टिक के लिए प्रयोग किया जाता है। यह सरासर गलत है और लोगो को भ्रमित कर सकता है। ऐसा प्लास्टिक शायद कुछ चार महीने के अंदर पानी में गल सकता है या फिर छोटे-छोटे हिस्सों में टूट सकता है। पर इसके कई सूक्ष्म टुकड़े/परमाणु पानी और मिट्टी में चले जाते है। जब आप एक 'रीसाइकल्ड' टी-शर्ट खरीदते हैं, आप एक ऐसी वस्तु खरीद रहे है जिसके कारण प्लास्टिक के कई सूक्ष्म पदार्थ,आपकी वॉशिंग मशीन के ज़रिये, पानी में बह जाएँगे । इसलिए 'बायोडीग्रेडेबल' और 'रीसाइकल्ड' जैसे शब्दों से सतर्क रहे। जो उत्पाद आप खरीद रहे है उससे जुड़े कई सवाल पूछिए। जागरूक रहिए।
‘जब आप एक 'रीसाइकल्ड' टी-शर्ट खरीदते हैं, आप एक ऐसी वस्तु खरीद रहे है जिसके कारण प्लास्टिक के कई सूक्ष्म पदार्थ,आपकी वॉशिंग मशीन के ज़रिये, पानी में बह जाएँगे ।’
३. बाज़ार में 'अरेका लीफ़ प्लेट्स', 'कॉर्न स्टार्च बैग्ज़, 'एडिबल कटलरी जैसे उत्पाद मौजूद है जो शायद विश्वसनीय हो, पर कई शहरी उपभोक्ता इनको प्लास्टिक बैग्ज़ में डिस्पोज़ करते है यानी फेंकते हैं। इस वजह से सभी कदम व्यर्थ साबित हो जाते है, क्योंकि अंत में ये कचरा लैंडफिल (कचरा भराव क्षेत्र) तक पहुँच ही जाता है। क्या आप गैर ज़िम्मेदाराना या गलत डिस्पोज़ल की समस्या पर विस्तार में चर्चा कर सकती हैं? इन्हें सही तरीके से डिस्पोज़ करने के क्या सुझाव है?
मेरा सबसे पहला सुझाव है 'साफ़ इनकार करना'। सिंगल यूज़ यानी जो केवल एक बार इस्तेमाल हो सके, ऐसी वस्तुओं का पूरी तरह बहिष्कार करे। निजी रूप में हमे एक ऐसे स्थान पर पहुँचना है ,जहाँ खुद का कपड़े का बैग, कटलरी, स्टील एवं चिकनी मिट्टी की प्लेट्स और थालियों को लेकर चलना, उनका उपयोग करना एक आम बात हो।
जहाँ अरेका की बात है, इसे बायोडीग्रेड होने में काफ़ी समय लगता है क्योंकि ये प्लेट्स बहुत भारी-भरकम होती है। इसे बिजली का इस्तेमाल कर श्रेड्ड यानी बहुत छोटे टुकड़ों में तोड़कर, या इंडस्ट्रियल कम्पोस्टिंग के ज़रिये जल्दी खंडित किया जा सकता है।
वही कॉर्न स्टार्च बैग्ज़ मोनो क्रॉप खेती यानी हर साल एक ही ज़मीन पर एक ही जैसी फसल उगाने की प्रथा को बढ़ावा दे सकते है (जैसे कि ताड़ के तेल का उद्योग)
बिना सोचे-समझे कि ये कहाँ पहुँचेंगे या फिर कैसे खंडित होंगे, इन्हें गलत ढंग से डिस्पोज़ करना बेशक़ ही सब कुछ व्यर्थ साबित कर देता है। इन 'ईको-फ्रेंडली' उत्पादों को कम्पोस्ट बिन में डिस्पोज़ करना चाहिए या फिर ऐसी जगह जहाँ ये प्राकृतिक तरीकों से खंडित हो सके।प्लास्टिक में डिस्पोज़ करने से यह लैंडफिल तक पहुँच ही जाते हैं जो एक बहुत बड़ा नुक़सान है। किसी भी तरह के बायोडीग्रेडेबल कचरे को खंडित होने के लिए ऑक्सिजन की ज़रूरत होती है। ऐसी परिस्थितियाँ लैंडफिल में पाना संभव नहीं।
‘वही कॉर्न स्टार्च बैग्ज़ मोनो क्रॉप खेती यानी हर साल एक ही ज़मीन पर एक ही जैसी फसल उगाने की प्रथा को बढ़ावा दे सकते है (जैसे कि ताड़ के तेल का उद्योग)’
४.कई ऐसे उत्पाद है (जैसी की ऑर्गेनिक मेंसट्रुअल पैडज़ ) जो 'बायो एन्ज़ाइमस से संसाधित ' होने का दावा करते है। इसका अर्थ क्या है? क्या यह ईको-फ्रेंडली है?
इस विषय पर हमारे पास कम जानकारी एवं तथ्य हैं।
५. 'ईको-फ्रेंडली' होने का दावा करने वाले उत्पाद को खरीदने से पहले एक ग्राहक को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- देखिए की उत्पादक कौन है और सवाल पूछिए।
- उत्पादों की तुलना और विश्लेषण करे।
- अन्य ग्राहकों की राय जानिए।
- सस्टेनेबिलिटी जैसे विचारों के बारे में जानिए।
- हर पढ़ी हुई चीज़ पर आँख मूँदकर विश्वास न करे, एक बार तथ्यों को ज़रूर जाँच ले ।
6. ६. कृपया आखिरी सुझाव को थोड़ा विस्तार में बताए।
पिछले साल मैंने एक अखबार में एक विज्ञापन देखा जो दावा कर रहा था कि 'भारत में ९०% पी.ई.टी बोतलें इकट्ठा कर रीसाइकल की जाती हैं'। उस विज्ञापन का दावा था कि पी.ई.टी बोतलें पानी, दवाइयों और अन्य पीये जाने वाले उत्पादों की पैकेजिंग के लिए के लिए सबसे श्रेष्ठ विकल्प है।
हमे यह समझना जरूरी है कि पी.ई.टी रीसाइकल नहीं किया जा सकता इसे सिर्फ डाउनसाइकल किया जा सकता है (इसे अन्य लो क्वालिटी प्लास्टिक में बदला जा सकता, वह भी सिर्फ़ कुछ ही बार)। प्लासिटक के उपयोग को बढ़ावा कम कार्बन फुटप्रिंट के आधार पर दिया जाता है पर वे अत्यधिक एवं बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण पर रौशनी नहीं डालते। प्लास्टिक सूक्ष्म सूत्रों में बदल इतना ज़्यादा फैल जाता है कि इसे वापिस इकट्ठा करना नामुमकिन है। आने वाले समय में, अगर हम बड़े पैमाने पर देखे तो प्लास्टिक हमारे स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं।
अन्य विकल्प ज़्यादा महंगे नहीं है, पर इस मुद्दे की परिभाषा को एक नए नज़रिए से लिखना ज़रूरी है। क्या हमें एक ऐसे व्यवसाय की ज़रूरत है जो पैक किया गया पानी बेचे है या फिर एक ऐसे व्यवसाय की जो हमारे लिए पानी के उपयोग एवं बचत का ध्यान रखे।
‘हमे यह समझना जरूरी है कि पी.ई.टी रीसाइकल नहीं किया जा सकता इसे सिर्फ डाउनसाइकल किया जा सकता है (इसे अन्य लो क्वालिटी प्लास्टिक में बदला जा सकता, वह भी सिर्फ़ कुछ ही बार) ।’
७. जो लोग अपने जीवन में सचेत बदलाव लाने की कोशिश कर रहे है उनके लिए आपकी क्या राय है?
जागरूक रहना कठिन है और आपको कई बार मेल ना खाने वाले विचारों पर सोचना पड़ सकता है, इस द्वंद्व से जूझना पड़ सकता है। हर कदम पर एक नया निर्णय लेना कष्ट दे सकता है, पर समय के साथ आप खुद को बेहतर निर्णय लेते पाएँगे। आप आसानी से नक़ली उत्पादों को पहचान सकेंगे। एक समय में एक ही कदम ले और आशावादी रहें याद रखिए, अनेक जगह, अनेक लोग, अनेक सकारात्मक कार्य कर रहे है ताकि चीज़ें बेहतर हो सके, चीज़ें बदल सके।
हम आज की आसान जीवनशैली को भूल कर पर्यावरण के अनुकूल, नैतिक जीवन जीने का प्रयास कर रहे लोगों की टीम हैं, और इस प्रक्रिया में जो कुछ हम सीख रहे हैं वह हम अपने पाठकों से साथ बाँट रहे हैं।