हमने डिस्को के बहुत ही जागरूक वायथ्रीके से बहुत कुछ सीखा
- एक बेहतर पृथ्वी के लिए काम कर रहे सब लोगों के लिए एक शेयर्ड स्पेस, वायथ्रीके - प्लेनेट लॉस्ट एंड फाउंड, ने पर्यावरण से जुड़ी महत्वपूर्ण आवाज़ें और बातें उठाईं
Yashodhara is a new mommy, IT professional and cat lover…
बहुत सारे जागरूक विचार, डेटा पर आधारित बातें, माइंडफुल आयोजन, ह्यूमर और ईको-एंज़ायटी से निपटने के लिए बहुत सारी आशा - ये संक्षेप में था डिस्को का वायथ्रीके: प्लेनेट लॉस्ट एंड फाउंड। ये एक आयोजन था जिसमें लोग साथ आकर बात कर के, पृथ्वी की रक्षा पर अपने विचार साथ लाएँ और क्लाइमेट चेंज के संकट को दूर करने के लिए एकजुट होकर काम कर सकें।
ये एक दिन का आयोजन बांद्रा के पाइनीयर हॉल में 8 फरवरी को रखा गया था जिसमें वर्कशॉप, पैनल डिस्कशन, ईको-फ्रेंडली स्टॉल, इंस्टालेशन, खाने-पीने के स्टॉल, लाईव संगीत और बहुत कुछ था। हमने कोशिश की कि हम इस वायथ्रीके के सस्टेनेबल उत्सव की हर चीज़ का स्वाद ले पाएँ।
ये उस आयोजन की कुछ मुख्य बातें थीं:
1. दिन की शुरुआत दो रोचक वर्कशॉप से हुई। पहली वर्कशॉप बेयर नेसेसिटीज़ ने होस्ट की थी जिसमें लो-वेस्ट जीवनशैली अपनाने के लिए आसान टिप्स और डी.आई.वाय. दिए गए। करेंट कंज़र्वेशन ने दूसरी वर्कशॉप होस्ट की जिसमें अपनी रचनात्मकता और विचारों को इस्तेमाल करके ज़ीन (एक स्वरचित, छोटे स्तर का प्रकाशन, जिसे कम लोगों में प्रसारित किया जाता है) तैयार करना बताया गया।
2. वाइल्डलाइफ़ कंज़र्वेशन ट्रस्ट के अनीश अंधेरिया की जानकारीपूर्ण वार्ता के बाद बातचीत और वाद-विवाद का सिलसिला शुरू हुआ। अनीश ने हमारे ग्रह की बुरी हालत के बारे में बताया और सुनने वालों को आशा की किरण भी दिखाई जब उन्होंने सरकारी संस्थाओं के साथ अपने अच्छे अनुभव बाँटे। जैसे, एक एक्स्पर्ट पैनल ने जब महाराष्ट्र समृद्धि एक्सप्रेस (जो काफ़ी वाइल्डलाइफ़ कॉरिडर से गुज़रती है) के निर्माण के समय अपनी राय दी तो सरकार ने उसे ध्यान में रखा।
3. झटका.ओआरजी के अविजित माइकल और कलेक्टिव फ़ॉर स्पेशल ऑल्टरनेटीव्स की श्वेता वाघ और हुस्सैन इंदोरवाला ने दो अलग-अलग वार्ताओं में प्रभावी सरकारी नीतियों से सस्टेनेबल बदलाव लाने के महत्व पर बात की। कलेक्टिव फ़ॉर स्पेशल ऑल्टरनेटीव्स ने मुंबई के अभी चल रहे कोस्टल रोड निर्माण के ख़तरनाक नतीजों और उसके ‘पब्लिक इंट्रेस्ट’ प्रस्ताव होने के बारे में बताया।
4. क्लाइमट कलेक्टिव के प्रताप राजू ने प्रेरक इनोवेटर और तकनीकी खोजों के बारे में बताया जो क्लाइमेट चेंज संकट के ख़िलाफ़ अच्छा काम कर सकते हैं।
5. वाइल्डलाइफ़ कंज़र्वेशन ट्रस्ट के ऋषिकेश चव्हाण ने ईको-ऐंज़ाइयटी (यानि पर्यावरण के विनाश का डर) के उभरते हुए नज़रिए के बारे में बताया।
6. नयी पीढ़ी का नेतृत्व जर्मन इंटरनेशनल अकैडमी के विद्यार्थी नंदन ने किया। ये हमारे देश में एक स्कूल है जिसने पूरी तरह से प्लांट-बेस्ड डाइट को लागू किया है। नंदन ने जानवरों के लिए अपने प्यार और वीगन डाइट अपनाने के बारे में बात की।
7. ‘लेवरेजिंग कॉनटेंट फ़ोर कम्यूनिटी: यूज़िंग रिच स्टोरी-टेलिंग फ़ॉर अवेयरनेस’ (समुदाय के लिए सबसे ज़्यादा लाभप्रद कॉनटेंट: जागरूकता के लिए समृद्ध कहानियों का इस्तेमाल) का सेशन रखा गया जिसका संचालन वाइस मीडिया की ध्वनि सोलानी, एक्सटिंकशन रिबैलियन के शुभम कर चौधरी और मेड इन इंडिया की माई मरियम थोमस में किया।
8. पॉप अप में लो-वेस्ट और ईको-फ़्रेंडली निजी और घर के इस्तेमाल की चीज़ें थी। जलपान को बायोडिग्रेडेबल प्लेट और रीयूज़ेबल गिलास में परोसा गया। बीयर ऑन द टैप को रीयूज़ेबल गिलासों में परोसा गया और वेस्ट का प्रबंधन स्क्रैप नाम की संस्था ने अच्छे से किया। मंच पर बोतल में रखे पानी की जगह चमकते हुए तांबे के कलश और गिलासों को देख कर बहुत अच्छा लगा।
9. सबसे ज़्यादा जोशीला इवेंट पिच-अ-पेचा कुचा सेशन था जिसमें नए, एथिकल व्यवसायों ने निवेशकों, सहयोगियों और प्रतिभा को लुभाने के लिए प्रयास किए। पिच करने वालों में बेटर के करन बजाज और कीर्तिदा फड़के, एथिको के इंद्रनील सेनगुप्ता और रबिया तिवारी, कोको कसटो के शान लालवानी, बेलगड़िया पैलेस की अक्षिता भंजदेव, बॉम्बे ग्रीनवे के ऐलन और एनका अब्राहम, पर्पस क्लाइमेट लैब की सोनाली भसीन और स्क्रैप की दिव्या रामाचंद्रन शामिल थे। जीतने वाली टीमें थीं बेटर, कोको कसटो और एथिको! इन टीमों को क्लाइमेट लॉन्चपैड इंडिया एक्सेलेरेटर प्रोग्राम में शामिल किया जाएगा जो स्वच्छ तकनीकों के विचारों को सहयोग देने के लिए एक वैश्विक ग्रीन बिज़नेस आईडिया प्रतियोगिता है।
10. दिन का अंत डिटी और डिस्कोमैन के आत्मिक संगीत और भाग लेने वालों की ढेर सारी बातों के साथ हुआ।
यशोधरा एक आई. टी प्रोफेशनल हैं और हालही में माँ बानी हैं। इसके अलावा उन्हें बिल्लियों से बहुत प्यार हैं और फिलहाल वह मुंबई में रह रहीं हैं। जब उन्हें अपने शिशु अपने शिशु के पीछे भाग-दौड़ से समय मिलता हैं, तब वह पढ़ती हैं, लिखती हैं और अपनी नींद पूरी करने की कोशिश करती हैं।