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सस्टेनबिलिटी के वे पाठ जो हम अपने दादा दादी से सीख सकते हैं

सस्टेनबिलिटी के वे पाठ जो हम अपने दादा दादी से सीख सकते हैं

Susanna Cherian
  • आपको पर्यावरण हितैषी समाधान खोजने के लिए कहीं दूर जाने की आवश्यकता नहीं है। केवल कुछ नुस्खे आज़माइए जिन्हें हमारी पहली पीढ़ी ने आज़माया था।

प्राकृतिक जीवन के विषय में हम अपने दादा दादी की पीढ़ी से बहुत कुछ सीख सकते हैं। ऑर्गैनिक और सस्टेनबल ये शब्द वर्तमान के मूल मंत्र हैं परन्तु उन्होंने बहुत पहले इन सिद्धांतों को अपने दैनिक जीवन में कोई विशेष संज्ञा दिए बिना अपनाया था। वर्तमान समय में प्लास्टिक हमारे जीवन के प्रत्येक दायरे को आवृत्त करती है और हम अपनी अलमारियों में आवश्यकता से अधिक कपड़े रखते हैं। इन वस्तुओं की उद्देश्य पूर्ति होने के पश्चात् ये कहां जाती हैं? अधिकांशतः लैंडफ़िल के भीतर। क्या इस सुविधा की कीमत हमें अपने ग्रह को नष्ट करके चुकानी चाहिए?

यह सच है कि हमारे दादा दादी एक अधिक सरल समय में रहते थे और उनकी पहुंच उन अधिकांश विलासिताओं तक नहीं थी जिनका आज हम आनन्द लेते हैं। सन् 1960और उससे पहले प्लास्टिक बैग तक प्रचलन में नहीं थे। युद्ध की क्षति से उभर रहे अधिकांश देशों में अल्प व्ययिता ही जीवन जीने का तरीका था। लोगों को अपने पास उपलब्ध वस्तुओं से गुज़ारा चलाना पड़ता था और कहने की आवश्यकता नहीं है कि एक घर को चलाने के वे पुराने प्रचलित तरीके सीखने योग्य हैं। प्रस्तुत हैं हमारे वरिष्ठ जनों द्वारा अपनाए गए कुछ अभ्यास। हमें आशा है ये आपको अधिक सूक्ष्मतावादी और पर्यावरण हितैषी जीवन शैली का चुनाव करने के लिए प्रेरित करेंगे।

1. दादी के जादुई बक्से की पुनर्रचना कीजिए

You don’t need to be an expert at sewing to fix a button, patch a hole or mend a seam. Image Source: Unsplash

आपको याद होगा दादी मां का वह बक्सा जिसे वे बड़े प्रेम से संभालती थी -- उनका सिलाई का बक्सा। रंगीन धागों, विभिन्न आकारों और बनावट के बटनों, नापने का फ़ीता, सुइयों और सिलाई की दूसरी छोटी मोटी चीज़ों के संग्रह से भरा हुआ, जब भी कोई मरम्मत करनी होती तो हर बार इस बक्से को बाहर निकाला जाता था। अगली बार जब भी आप की कोई सिलाई उधड़ जाए या कोई बटन खो जाए, तो नया कपड़ा खरीदने की अपेक्षा उसकी मरम्मत कर लें। आपको सिलाई का विशेषज्ञ होने की आवश्यकता नहीं है। अपितु एक सुईं और धागा (और कुछ तरह के टांके) आपके कपड़े को दोबारा जीवन दे सकते हैं। यदि आप सिलाई में निपुण हैं तो आप दादी मां से एक और सीख ले सकते हैं और साड़ी जैसे पुराने कपड़ों को एक रंग बिरंगी कढ़ाई वाले पर्स, तकियों के कवर और पैबंदकारी रजाइयों में बदल सकते हैं। एक और भी चीज़ है जो आप बना सकते हैं जो आपको इस महामारी में सुरक्षा प्रदान करेगी, वह है कपड़े से बना मास्क।!

2. अधिक पकाइए, कम मंगवाइए

Try recipes that are easy to put together and cook meals at home. Image Source: Pixabay

पुराने समय में परिवार घर में पके भोजन और समय लगा कर बनाए गए व्यंजनों के माध्यम से आपस में जुडे़ थे। परन्तु आज भारत के लोग इतना अधिक बाहर खाने लगे हैं (और घर मंगाने लगे हैं) जितना पहले कभी नहीं खाते थे।और इस बात का हम एहसास नहीं करते कि ये सब सुविधाएं हमारे पर्यावरण की बड़ी कीमत पर मिलती हैं। कुछ युक्तियों के साथ आप इन आदतों से दूर हटना प्रारम्भ कीजिए -- किराने की साप्ताहिक खरीदारी कीजिए, आने वाले सप्ताह के लिए भोजन की योजना तैयार कीजिए, सरलता से पकने वाले व्यंजनों की विधि ढूंढिए, ज़्यादा पका कर शेष बचे खाने को फ्रीज़ कर लीजिए। यदि आपको खाना बाहर से मंगाना पड़ रहा है तो रेस्तरां को अतिरिक्त प्लास्टिक कटलरी, स्ट्रॉ या कैचअप के पैकेट भेजने के लिए भी मना करें। यदि रेस्तरां अधिक दूर नहीं है तो आप खाना लेने के लिए अपने बर्तन ले जा सकते हैं। वैकल्पिक रूप से आप उन भोजन गृहों का सहयोग कर सकते हैं को सस्टेनेबल पैकेजिंग का प्रयोग करते हैं।

3. खाद्य कचरे को रचनात्मक बनाइए

Learn how to compost your food waste. Image Source: Unsplash

छिलकों को बाहर फेंकने की अपेक्षा उन्हें नवीन व्यंजनों में पुनर्प्रयोग किया जा सकता है। बासी ब्रैड को ब्रैड पुडिंग में बदल सकते हैं या सब्ज़ियों के छिलके को स्वादिष्ट सूप में। और यदि आपके पास एक घरेलू उद्यान है ( या आप लगाने के बारे में सोच रहे हैं) तो रसोईघर का कचरा आपको स्वस्थ पौधे पैदा करने में मदद करेगा। अंडों के छिलकों को धोकर उनका चूरा कर लीजिए और वहां घूमने वाले कीड़ों से बचाव के लिए उसे पौधों की मिट्टी के ऊपर छिड़क दीजिए। आप खाद बनाने की कलाको सीख कर घर के कूड़े का अधिकतम प्रयोग कर सकते हैं। उस खाद में आप सब्ज़ियों और फलों के छिलके, टी- बैग्स या चाय की सूखी पत्ती और बचे हुए अंडे के छिलके भी जो कैल्शियम का एक बड़ा स्रोत है, मिला सकते हैं। उसके बाद इस उपजाऊ मिट्टी में अपने पौधों को फलते फूलते देखिए।

4. अपने आस पड़ोस के सहायकों से दोस्ती कीजिए

Find repair shops in your neighbourhood that can mend broken items like watches, shoes, electrical appliances. Image Source: Flickr

आज हम अपनी घड़ी के टूटने पर एक नई घड़ी खरीदने से पहले अधिक नहीं सोचते परन्तु हमारे दादा दादी अपनी वस्तुओं को अधिकाधिक प्रयोग में लाने का प्रयास करते थे। वे खरीदते समय भी अनेक सस्ते विकल्पों की अपेक्षा एक टिकाऊ और गुणवत्ता वाला थोड़ा महंगा उत्पाद चुनते थे जो अधिक देर तक चल सके। यानी चाहे टूटी हुई घड़ी हो, छाता या जूते, आपको अपने पड़ोस में मरम्मत की एक दुकान ढूंढनी होगी जो आपकी इन वस्तुओं की मरम्मत न्यूनतम कीमत में कर दे। और जब अकार्यशील बिजली के उपकरणों और गैजेट्स की बात हो तब भी उस दुकान से मरम्मत के लिए संपर्क करना जहां से उसे खरीदा गया था सबसे अच्छा रहेगा । सम्भवतः वे समस्या को सुलझा दें या खराब भाग को बदल दें ताकि आपके उन पैसों की बचत हो जिन्हें आप एक नए उपकरण को खरीदने में खर्च करते।

5. सोच समझ कर उपहार दीजिए

Attempt a DIY gift and wrap it in sustainable packaging. Image Source: Pexels

हमारी संस्कृति में उपहारों की एक बड़ी भूमिका है। तो अगले किसी भी विशेष अवसर के लिए विवेकपूर्ण उपहार लाने का प्रयास कीजिए, जो केवल सजावटी ना होकर व्यावहारिक भी हो। यदि आप स्वनिर्मित उपहार बनाना चाहते हैं तो घर पर उपलब्ध सामग्री से सुन्दर वस्तुएं बनाने के लिए पर्याप्त ऑनलाइन कक्षाएं उपलब्ध हैं। गृहनिर्मित वस्तुएं एक अतिप्रिय और प्रशंसनीय प्रयास है। जो भी उपहार आप चुनें उसे अख़बार या कपड़े में बांधना ना भूलें और अंत में एक हस्तलिखित शुभकामना के साथ उसे तैयार करें।

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