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क्लोद्स स्वॉप से मैं कपड़ों के सिवा और क्या लायी?

क्लोद्स स्वॉप से मैं कपड़ों के सिवा और क्या लायी?

Sushmita Murthy
  • ...हैंड-मी-डाउन पर एक बिलकुल नया पर्सपेक्टिव और एक क्लोसेट स्पेस जिसमें ऐसे कपड़े नहीं थे जिनका कोई काम न था

अगर आपके बड़े भाई-बहन हैं तो आपको हैंड-मी-डाउन का टच और फ़ील अच्छे से पता होगा। उसमें नए कपड़ों की चमक, खुशबु और करारापन नहीं होते हैं। और फिर भी ये जानना अलग तरह से आरामदायक होता है कि किसी चीज़ में अपने पहले वाले ओनर को अच्छे से सर्व किया है और फिर कार्मिक रास्ते से आपके पास पहुंच गयी है। ये ज़रूर एक पर्सपेक्टिव है जो समय के साथ आता है। पर ये केवल मेरी बात है। जब मैंने अपने दोस्तों को बताया कि मैं पैसे देकर दूसरों के इस्तेमाल किये हुए कपड़ों को क्लोद्स स्वॉप से ले कर आयी हूँ, उन लोगों को बहुत ज़्यादा अजीब लगा। मुझे पता है कि ये कैसा सुनाई देता है पर हम खराब, बदरंगे कपड़ों की बात नहीं कर रहे हैं। कपड़ों को परखा जाता है और जो अच्छी कंडीशन में होते हैं उनको ही शेल्फ़ पर रखा जाता है (आप किस्मतवाले भी हो सकते हैं और कपड़े एकदम नयी कंडीशन में मिल सकते हैं)। ये वो कपड़े नहीं हैं जो अब पहनने के लिए ठीक नहीं हैं, ये वो कपड़े हैं जो डिक्लटर डोएन मारी कोंडो के शब्दों में अब 'जॉय को स्पार्कल' नहीं करते हैं। हम सब बिना सोचे-समझे खरीदने पर बाद में पछताते हैं और हमें ज़्यादा बुरा लगता है जब वो 'स्टील डील' वाला कोलाबा कॉज़वे से लिया हुआ टॉप अगले दिन फ़िट ही नहीं होता है। 

ये एक नोवल आइडिया है ऐसे सारे कपड़ों के लिए जिनको अपना ड्यू नहीं मिला। और ये सर्क्युलर इकोनॉमी को भी प्रमोट करता है। हर स्वॉप अलग तरह से काम करता है। कुछ ऐसे होते हैं जो फ्रैंड्स के बीच होते हैं, फिर कुछ हैं जो छोटे स्केल पर फ़्री एंट्री वाले होते हैं और फिर कुछ वैसे जैसे हमने अटेंड किया — एंट्री चार्ज वाले। जो भी उनका टाइप हो, ये सारे एक सर्क्युलर इकॉनमी और माइंडफुल कन्सम्प्शन को एनकरेज करते हैं और एथिको में हम लोगों को ऐसे स्वॉप को अटेंड करने का बहुत मन था।

कपड़ों को परखा जाता है और जो अच्छी कंडीशन में होते हैं उनको ही शेल्फ़ पर रखा जाता है

अगर आपने टेक्सटाइल इंडस्ट्री के प्रदूषण के बारे में फ़ैक्ट्स और फ़िगर्स का एक हिस्सा भी पढ़ा है तो आपको पता होगा कि ट्रैंडी होने की पर्यावरण को कितनी बड़ी कीमत देनी पड़ती है। वोग इंडिया की भूतपूर्व एडिटर, बन्दना तिवारी, ने एक ऑस्ट्रेलियन पॉडकास्ट में कहा था कि हम हर साल 500 बिलियन टी-शर्ट ज़्यादा बनाते हैं! अब सस्टेनेबल फ़ैशन की एक मुखर समर्थक, वो मानती हैं कि बहुत ज़्यादा उपभोग्तावादी माहौल में रहने ने उनको एक 'फ़ैशन डाइट' पर जाने के लिए मना लिया है जिसका मतलब है कि दो साल तक या तो बहुत कम खरीदना या कुछ भी नहीं खरीदना।

ब्रिटिश रॉयल्टी हैक सालों से माइंडफुल वार्डरॉब का समर्थन कर रहे हैं। प्रिंस चार्ल्स के टेलर एंडरसन और शिपर्ड पहले के बने टेलर-मेड सूट्स के स्क्रैप को रखने के लिए जाने जाते हैं कि अगर उन्हें आने वाले सालों में किसी तरह के ऑलटरेशन की ज़रुरत पड़े तो काम हो जाए। एक ब्रिटिश टैबलॉइड ने एक बार प्रिंस के ऐसे जूतों में कम्फ़र्टेबल होने की तारीफ़ की जो शायद "उनके बच्चों से भी बड़े थे"। 

प्रिंस चार्ल्स के टेलर एंडरसन एंड शेपर्ड पहले के बने टेलर-मेड सूट्स के स्क्रैप को रखने के लिए जाने जाते हैं कि अगर उन्हें आने वाले सालों में किसी तरह के औल्टरेशन की ज़रुरत पड़े तो काम हो जाए

हमारा कहता यह है कि फ़ैशन की दुनिया के जाने माने लोग और शाही लोग भी सस्टेनेबल फ़ैशन को कम नहीं समझते हैं। तुलना करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं लेकिन आप बात समझ गए होंगे। 

हमने @फ़ैयरट्रंक के @सीम्स फ़ॉर ड्रीम्स के साथ आयोजित किये हुए एक स्वॉप में गए और वो इस तरह से हुआ:

  • आप 500 रूपए का एक कूपन काउंटर पर या ऑनलाइन खरीद सकते हैं (insider.com पर ये उपलब्ध था)
  • आप अपने 10 कपड़े स्वॉप पर ले जा सकते हैं (अगर डोनेट करना चाहते हैं तो और ले जा सकते हैं)
  •  एक वालंटियर आपके स्टैक की क्वालिटी को चेक करेगा। जो उनके नियमों के हिसाब से होंगे वो स्वॉप में जायेंगे और जो नहीं वो डोनेशन पाइल में जाएंगे जो ग़रीबों के लिए भेजे जाएंगे
  • आपको हर चुने हुए पीस के लिए एक कूपन मिलता है। तो 10 क्लोदिंग आइटम के लिए 10 कूपन।
  • वेन्यू पर लोग आते और जाते रहते हैं। ताकों पर से चीज़ें जाती और आती रहती हैं।
  • साइज़ के हिसाब से अलग नहीं की हुई होती हैं, अपने टाइप के हिसाब से अलग की जाती हैं जैसे ड्रेसेस, टॉप, शर्ट, शॉर्ट्स, पैन्ट्स। मेन्स सेक्शन बाहर की दुनिया की तरह ही एक छोटे स्टैंड पर सीमित रहता है।
  • यहां पर ट्रिक यह है कि थोड़े लम्बे समय तक देखें क्योंकि हर 10 मिनट में कलेक्शन बदलता है।
  • यहां ट्रायल रूम भी होता है।

मैं 10 कपड़ों के साथ आयी थी और बाहर तीन के साथ निकली। क्या मुझे कुछ कम लगा? नहीं, क्योंकि मैं ऐसे कपड़ों के साथ आयी थी जिनका मेरे लिए कोई आकर्षण नहीं बचा था और मैं ऐसे कपड़ों के साथ घर जा रही थी जो नए की चमक नहीं रखते थे पर मेरे लिए नए ही थे। और सबसे अच्छी बात ये थी कि जिन कपड़ों ने मुझे 10 साल से ज़्यादा अच्छे से सेवा दी थी उनको मेरे निकलने के पहले ही एक नया वार्डरॉब मिल गया। और हाँ, क्या मैंने आपको बताया मैं उनको सेकंड हैंड नहीं कहती हूँ। वो 'प्री-लव्ड' हैं।

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