सस्टेनेबल फ़ैशन और देसी जुगाड़
- टीम एथिको ने फ़ैशन एंटरप्रेन्योर मेघना नायक से उसकी कंपनी लतासीता के बारे में बात की जो लोगों के पुराने वार्डरॉब को अपसाइकिल कर के नयी कहानियाँ बुनती है — बिना कोई नए निशान को छोड़े।
We’re a team that is unlearning modern-day, convenient living to…
आमतौर पर किसी भी टेक्स्टायल वर्कशॉप में वेस्ट कपड़ों का ढेर लगा रहता है। लेकिन लतासीता की कोलकाता वर्कशॉप में हर महीने के क्लॉथ वेस्ट का वज़न कुछ ग्राम ही होता है। इस बात पर लतासीता की मालिक मेघना नायक को विशेष गर्व है। टीम एथिको ने ये भी पाया कि इनका सस्टेनेबिलिटी प्रिंसिपल और भी आगे जाता है। यहां जो भी गारमेंट्स बनाये जाते हैं उनका कपड़ा सौ प्रतिशत अपसाइकिल किया हुआ है। पुराने पर्दों से ले कर घिसी हुई जीन्स और बेडशीट तक, हर चीज़ को यहां एक नया जन्म मिलता है। लेकिन जो मेघना का सबसे ज़्यादा पसंदीदा काम है वो है इंडिया की सबसे सुन्दर वेशभूषा, साड़ी, को रिवाइव करना।
शुरुआत
एनवायरनमेंट जर्नलिस्ट से सस्टेनेबल फैशन इंटरप्रेन्योर बनी मेघना ने फैशन इंडस्ट्री के दुष्प्रभावों के बारे में लिखने से शुरुआत की। फिर उसे महसूस हुआ कि जिन विचारों के बारे में वो लिख रही थी, उनको अपना के लोगों में जागरूकता लाना ज़्यादा अच्छा माध्यम है। मेघना बताती है, "मेरे पास लगाने के लिए ज़्यादा रुपये नहीं थे और मैं सोच रही थी कि कैसे अपने सैंपल बनाऊं। और फिर मेरी मम्मी ने अपना वार्डरोब खोला जिसमें मेरी दादी की क्लासिक, खूबसूरत साड़ियां थीं। मैं कभी अपनी दादी से तो नहीं मिली थी लेकिन उनकी साड़ियाँ सालों से मेरी मम्मी ने संभाल रखी थीं। मुझे तुरंत एक सम्बन्ध महसूस हुआ। ऐसी लाखों साड़ियां देश के कितने ही घरों में संभाली हुयी होंगी। मैं इस फैब्रिक के ख़ज़ाने को यूँ ही वेस्ट होते हुए नहीं देख सकती थी जो बिना देखे, बिना पहने ही खराब हो रहा है और रोज़ बढ़ती हुई मांग के कारण भारी मात्रा में नया क्लॉथ बनाया जा रहा है।"
अपसाइकिल करना ही जुगाड़ है
मेघना के अनुसार, "इंडिया में जुगाड़ लगा कर पुरानी साड़ियों को अपसाइकिल करना पहले से ही चला आ रहा है। हमारी दादियां उन्हें कांथा के मास्टरपीसेज़ और कुर्तों में बदलती आ रही थीं। लेकिन डिज़ाइन के अनुसार देखें तो ये वही दो-तीन पुराने तरीके थे। अपसाइकिल किये हुए पीसेस को शादियों या पार्टियों में नहीं पहना जाता। मैं इस बात को बदलना चाहती थी। मैं शहरी महिलाओं को अपनी पहनी हुई साड़ियां लाने के लिए कहती हूँ और उनकी पसंद और बॉडी-टाइप के हिसाब से उनको बीस्पोक पीसेज़ में बदला जाता है। सिर्फ धागे, इलास्टिक, ज़िप, हुक, बटन और लाइनिंग नए होते हैं। हाल ही में मैंने टसर के पर्दों से शेरवानी बनायी है। इसी तरह, एक क्लाइंट अपनी शादी के लहंगे की चोली और सत्रह जोड़ी जीन्स ले कर मेरे पास आयीं। इनमें से कुछ भी उनको फिट नहीं हो रहा था। हमने बारह जीन्स को जोड़ कर एक बहुत अलग सी डैनिम की जैकेट तैयार की। लेकिन मुझे सबसे ज़्यादा साड़ियों पर काम करना पसंद है। साड़ी मुझे अलग-अलग तरह से प्रेरित करती है।”
‘मैं शहरी महिलाओं को अपनी पहनी हुई साड़ियां लाने के लिए कहती हूँ और उनकी पसंद और बॉडी-टाइप के हिसाब से उनको बीस्पोक पीसेज़ में बदला जाता है।.’
लतासीता की भावना का एक अहम हिस्सा है गारमेंट के इतिहास को संजोये रखना। मेघना बताती है, “हमारे पास एक महिला बहुत ही सुन्दर सिल्क की साड़ी ले कर आयीं जिसकी प्लीट्स वाले पार्ट पर दाग़ थे। ये साड़ी उनकी मम्मी की थी जिनको मीठा खाना बहुत पसंद था और बुढ़ापे में पार्किंसंस होने के कारण वे कांपते हुए हाथों से मीठा खाती थीं। जो फाइनल पीस रेडी हुआ उसकी छुपी हुई अंडरस्कर्ट में वे दाग़ थे। उन्हें क्यों हटाया जाए? हमने सामान्य सौंदर्यशास्त्र को बदला क्योंकि उन दागों के साथ यादें जुड़ी हुईं थीं।"
लतासीता की भावना का एक अहम हिस्सा है गारमेंट के इतिहास को संजोये रखना.
फ़ैशन का कड़वा सच
फ़ैशन की दुनिया की कड़वी सच्चाई ने मेघना को इस स्पेस में प्रवेश ले कर एक मिसाल बनने के लिए बाधित कर दिया। “तेल के बाद, फैशन दूसरा सबसे बड़ा प्रदूषक है। जब हम 'प्रदूषण' के बारे में सोचते हैं तो सीवेज और धुएँ की तसवीरें हमारे सामने आ जाती हैं। लेकिन हम कभी नहीं सोचते कि हमारे कपड़े भी प्रदूषक हो सकते हैं। ये फसल से ले कर ग्राहक तक की श्रंखला हर खरीदारी के साथ एक टॉक्सिक ट्रेल छोड़ जाती है जिसे हम बिना जाने बढ़ावा देते हैं। टेक्सटाइल प्रदूषण के बारे में विचार करना ज़रूरी है,” मेघना का मानना है। इन फाइबर्स और गारमेंट्स के परिवहन में जो प्रदूषण फैलता है उसे तो एथिकल टेक्सटाइल भी नहीं रोक पाती है।
‘ये फसल से ले कर ग्राहक तक की श्रंखला हर खरीदारी के साथ एक टॉक्सिक ट्रेल छोड़ जाती है जिसे हम बिना जाने बढ़ावा देते हैं।.’
नफ़ा नुकसान के नए मापदंड
अंत में, मेघना के लिए सबसे ज़्यादा मायने रखता है एक सर्कुलर, क्लोज्ड-लूप प्रोसेस जो 'सोशल सेंस' बनाता हो। मेघना कहती हैं, “आम बिज़नेस की भाषा में जब फ़ायदे और नुकसान की बात करते हैं, तो हमारा मतलब आर्थिक फ़ायदे और नुकसान से होता है। लेकिन 'नुकसान' सामाजिक और पर्यावरण से भी सम्बंधितहै। कम मजदूरी और खराब काम की परिस्थितियां सामाजिक नुकसान और केमिकल डाई का प्रयोग और दूसरी नुकसानदायक प्रक्रियाएं पर्यावरण को हानि पहुंचाते हैं। और इसमें जुड़ जाता है फ़ैशन द्वारा बन रहा वेस्ट। बिज़नेस घरों को ये नुकसान भी देखने और मानने चाहिए।"
‘आम बिज़नेस की भाषा में जब फ़ायदे और नुकसान की बात करते हैं, तो हमारा मतलब आर्थिक फ़ायदे और नुकसान से होता है। लेकिन 'नुकसान' सामाजिक और पर्यावरण से भी सम्बंधित है।’
ये ही बात फ़ायदे पर भी लागू होती है। मेघना के शब्दों में, “फ़ायदा सिर्फ़ आर्थिक न हो कर सामाजिक और पर्यावरण से भी जुड़ा हो सकता है। हम वापस देने को अपने बिज़नेस मॉडल का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। तीन ऐसी संस्थाऐं हैं जिनमें हम योगदान देते हैं — गरिया साथीसाथी, बधिर बच्चों के लिए एक चैरिटी, गूँज, गाँवों के विकास के लिए काम कर रही संस्था और स्मॉलचेंज.एनजीओ, वैद्य कारणों में सहायता देने के लिए एक पारदर्शी प्लेटफार्म।” गूँजरूरल इंडिया के विकास के लिए काम कर रही संस्था और स्मॉलचेंज.एनजीओ लेजिटिमेट कारणों में सहायता देने के लिए एक ट्रांसपेरेंट प्लेटफार्म।”
हम आज की आसान जीवनशैली को भूल कर पर्यावरण के अनुकूल, नैतिक जीवन जीने का प्रयास कर रहे लोगों की टीम हैं, और इस प्रक्रिया में जो कुछ हम सीख रहे हैं वह हम अपने पाठकों से साथ बाँट रहे हैं।