एक सीरियल मेडीटेटर के कन्फ़ैशन
- कैसे विपश्यना ने मेरा अपने विचारों के साथ ऐंगेजमेंट बदला
Mikael Palm is a standup comedian, theatre director and nonsensical…
मैंने कभी मैडिटेशन के बारे में ज़्यादा नहीं सोचा था। फिर भी दो साल पहले मैं इंडिया में 10 दिन का विपश्यना कोर्स करने के लिए अपने टिकट बुक कर रहा था। सेल्स जॉब की मोनोटोनी आपको काफी पुश कर सकती है। एक लम्बी फ्लाइट्स, स्लीपी ट्रैन जर्नी, थोड़ी सी हैगलिंग और एक इंटेंस रिक्शा राइड के बाद मैं बोध गया के विपश्यना सेंटर पहुंचा। मैंने ये जगह इसीलिए चुनी थी क्यूंकि कहा जाता है बुद्ध को यहाँ एक वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था। मुझे समझ में आया, या तो कुछ बड़ा करो, या घर जाओ। पिछले दो सालों में मैंने छः विपश्यना के कोर्स किये हैं। कुछ बड़ा करने की कोशिश तो की ही है।
मेरे पहले सेशन में मुझे नहीं पता था कि क्या एक्सपेक्ट करना चाहिए। मैंने साइन-इन किया, कोड ऑफ़ कंडक्ट पढ़ा और मुझे एक फ़ेलो अटैंन्डी के साथ रूम शेयर करने को कहा गया। एक छोटे प्रेज़ेनटेशन के बाद सब लोग अपने-अपने रूम में चले गए और नौ बजे लाइट्स बंद कर दी गयी। साइलेंस का समय शुरू हो गया था...
अगले दिन सुबह चार बजे मॉर्निंग गोंग बज गया और 4.30 पर मैडिटेशन हॉल मैं पहुंचना था। तब से, एक इंटेंस प्रोग्राम शुरू हो गया जो 9.30 बजे तक चलता था। पहली ग्रुप सिटींग में मैंने बैकरेस्ट माँगा। वहाँ के हेड सर्वर ने मुझे कहा कि मुझे बिना बैकरेस्ट के ही मैडिटेशन ट्राई करना चाहिए। ये रिस्पांस मैंने एक्सपेक्ट नहीं किया था। मुझे फोकस करने में मुश्किल हुई और मैं दर्द को कम करने के लिए लगातार बैठने की पोज़िशन्स बदल रहा था। आप सोचेंगे की एक डेस्क जॉब आपको घंटों बैठने के लिए तैयार करता है। लेकिन यहां नहीं। 10 दिन तक रोज़ 10-11 घंटों के लिए मेडिटेट करना मुश्किल है। डे 1-3 आनापान या अपनी सांस ऑब्ज़र्व करने के लिए हैं। डे 4-9 विपश्यना के लिए हैं जिसमें सर से पाँव तक बॉडी स्कैनिंग होती है और डे 10 पर लविंग, काइंड मैडिटेशन की तकनीक सिखाई जाती है।
डे 1 पर मैंने नोटिस किया कैसे मेरे थॉट्स पास्ट से फ्यूचर में जम्प करते थे लेकिन प्रेजेंट में नहीं रह पाते थे... इसी मोमेंट या अभी में। मेरे मन को हमेशा एंगेज रहने की आदत थी और मैंने रियलाइज़ किया कि बेचैनी मेरी बॉडी का मुझे कुछ स्टिम्युलेटिंग करने के लिए बताने का तरीका थी।
मैंने नोटिस किया कैसे मेरे थॉट्स पास्ट से फ्यूचर में जम्प करते थे लेकिन प्रेजेंट में, इसी मोमेंट में नहीं रह पाते थे।.
इन दस दिनों में हर ऑनलाइन और ऑफलाइन इंगेजमेंट से दूर रहना होता है। किताब भी नहीं। मैडिटेशन के सिवा जो दूसरी चीज़ें आप करते हैं वो है खाना और सोना। एक बार जब माइंड फोकसड हो जाता है, तो अनकांशस टेंशन उभर आती हैं जो अक्सर पेनफुल सेंसेशन के रूप में महसूस होती हैं। मैंने अपनी अटेंशन डाइवर्ट करने के लिए अपने पसंदीदा प्रोजेक्ट्स की हैप्पी इमेजेज़ बनायीं: मैं कॉन्सर्ट में पियानिस्ट क्यों नहीं बन जाता हूँ? क्यों नहीं वो मूवी बनाऊं जो मैं हमेशा से चाहता था? स्टैंड-अप कॉमेडी ट्राई करूँ? जितना ज़्यादा डीप आप जाते हो उतनी ही अनकॉनशियस विशिज़ (संस्कार) ऊपर आते हैं। "देखो, लेकिन रियेक्ट मत करो," मैंने अपनेआप को याद दिलाया। सिर्फ देख के और रियेक्ट न करके, माइंड को चीज़ें पकड़ने के हमेशा चलने वाले अटैम्पट से रिलीज़ किया जा सकता है। एक बार ये हो गया फिर माइंड ज़्यादा ओपन हो जाता है। वो आस-पास होने वाली चीज़ों के बारे में ज़्यादा कॉनशियस और अटेंटिव हो जाता है।
जितना ज़्यादा डीप आप जाते हो उतनी ही अनकॉनशियस विशिज़ (संस्कार) ऊपर आते हैं। "देखो, लेकिन रियेक्ट मत करो," मैंने अपनेआप को याद दिलाया।.
धीरे-धीरे आप सेंसेशन पर ज़्यादा ध्यान न देना सीखते हैं और उनको बैकग्राउंड में चल रहे रेडियो की तरह सोचते हैं जिसकी वॉल्यूम पर आपका कोई कंट्रोल नहीं होता है। मैं बिना ज़्यादा समझे सिर्फ देखना एन्जॉय करने लगा। ये एक नयी तरह की बिना रूकावट वाली हैप्पीनेस थी — जैसे आप अपने ही माइंड शो के साइलेंट ऑडियेन्स हो। ऐसा शो जो सच में मुझे अच्छा लगने लगा।
धीरे-धीरे आप सेंसेशन पर ज़्यादा ध्यान न देना सीखते हो और उनको बैकग्राउंड में चल रहे रेडियो की तरह सोचते हो जिसकी वॉल्यूम पर आपका कोई कंट्रोल नहीं होता है।.
आज ये मेरी लाइफ़ का बहुत बड़ा पार्ट है और इसी ने मुझे स्टैंड-अप कॉमेडी को शुरू करने के लिए हिम्मत दी — जो की मेरे सेल्स जॉब से बहुत दूर थी। लेकिन मेरे कहने पर ना जाएँ। मैं आपको कोई स्पिरिचुअल एक्सपीरिएंस या लाइफ़ चेंजिंग इवेंट या कुछ भी प्रॉमिस नहीं कर सकता हूँ। लेकिन क्या मैं इसको रेकमेंड करूंगा? ज़रूर करूंगा।
Mikael Palm is a standup comedian, theatre director and nonsensical raconteur, always on the lookout for a new spiritual experience