न्यूनतम जीवन शैली का आनन्द लेना गायत्री गांधी से सीखिए
- गुरुग्राम निवासी स्वच्छता सलाहकार बताती हैं कि किस प्रकार 'कोनमारी शैली' का प्रयोग करके अपने निवास स्थल को व्यवस्थित बनाना एक अधिक सस्टेनबल जीवन शैली की ओर महत्वपूर्ण पहला कदम है।
Shraddha Uchil is the consulting features editor at Ethico. After…
उस कटलरी सेट को याद कीजिए जो आपने वैवाहिक उपहार के रूप में पाया था परन्तु वर्षों से उसे छुआ भी नहीं। उन जूतों की जोड़ी जो ऑनलाइन मंगवाकर सही तरह से फिट ना आने के कारण केवल एक बार पहनी गई। जहां आपके घर में ये नई वस्तुएं मौजूद हैं, वहीं दूसरी ओर आपके कॉलेज के वर्षों की एक जीर्ण शीर्ण टी शर्ट भी है जिसे आप त्यागने से मना करते हैं। हमारे किसी काम की ना होने के बाद भी हमें वस्तुओं को दूर करने में इतनी कठिनाई क्यों होती है? भौतिक स्वामित्व के विषय में अपने विचारों में बदलाव लाने का क्या कोई रास्ता है?
इसका समाधान इन सरल शब्दों में छिपा है :- "क्या इन वस्तुओं से आपको खुशी या आनन्द की प्राप्ति होती है?" नैटफ़्लिक्स पर 'टाइडींग आप विद मैरी कॉन्डो' श्रृंखला के पूरे प्रथम सीज़न के दौरान आप इस पंक्ति को निरन्तर सुनते हैं। आयोजन और व्यवस्था से सम्बन्धित 'कोनमारी मैथड' की रचनाकार, जो कि एक प्रसिद्ध जापानी स्वच्छता गुरु और लेखिका हैं, को २०१९ के इस शो ने वैश्विक प्रसिद्धि तक पहुंचा दिया।
भारत में आप गायत्री गांधी को भी अपने ग्राहकों से यही प्रश्न पूछते हुए पाएंगे। गांधी भारत की पहली कोनमारी प्रमाणित सलाहकार हैं जो प्रत्यक्ष मैरी कॉन्डो द्वारा प्रशिक्षित हैं। वे जॉय फ़ैक्ट्री, नामक एक व्यवस्थित प्रबंधन व्यावसायिक कम्पनी, जो लोगों को उनके घरों और कार्यस्थलों की स्वच्छता प्रक्रिया को संपन्न बनाने में मदद करती है, की संस्थापक हैं।
कॉन्डो के समान गांधी भी इस बात में विश्वास रखती हैं कि यदि किसी वस्तु को साथ रख कर आप खुशी महसूस नहीं करते हैं, तो उसे विदा कर देने का समय है। अंततः व्यवस्थीकरण एक सस्टेनबल जीवन के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। यदि आप एक बार व्यवस्थिकरण की प्रक्रिया से गुज़रते हैं, तो आपके पास अपेक्षाकृत कम सामग्री बचती है, परन्तु आपके लिए उसका महत्व बढ़ जाता है। जब आप अपने बिखरे हुए परिवेश के कारण व्यग्र नहीं होंगे तो आप और अधिक शान्ति महसूस करना प्रारम्भ करेंगे।
गांधी जिनके पास पूरे भारत में आयोजन और स्वच्छता का 500 घंटों से भी अधिक अनुभव है, एथिको से बात करते हुए कहती हैं कि किस प्रकार अपने घर और कार्यस्थल को व्यवस्थित करने जैसी सामान्य बात आपके जीवन को आनंदपूर्ण बना देती है।
ग्राहक व्यवस्थीकरण सेवाओं कि मांग क्यों करते हैं?
कोविड-19 महामारी के दौरान अपने घरों में अत्यधिक समय बिताने पर लोगों ने एक व्यवस्थित और आनन्ददायक स्थान की आवश्यकता (क्योंकि वे अन्य कहीं नहीं जा सकते) महसूस की। उनमें से अधिकतर को यह बात समझ आ गई कि हमारे निवास की भौतिक सीमाओं और हमारे मानसिक स्वास्थ्य के बीच एक प्रत्यक्ष सम्बन्ध है। जब लोग अपने 'डीक्लटरिंग उत्सव' को मनाते हैं तो वे उसका अपने मानसिक आनन्द पर प्रत्यक्ष प्रभाव देखने में सक्षम होते हैं।
इसका अन्य कारण यह भी है कि आज कल लोगों के पास पर्याप्त समय है और वे महसूस करते हैं कि यह समय के उपयोग का सर्वश्रेष्ठ और सबसे प्रभावी तरीका है। इससे पहले वे सोचते थे कि वे व्यवस्थीकरण के कार्य को अधिक समय देने की अपेक्षा कुछ अधिक सार्थक कार्य कर सकते हैं (वे इस बात से अनभिज्ञ हैं कि वास्तव में स्वच्छता किसी के जीवन के कुछ नए आयाम खोलने का प्रारम्भिक बिन्दु है), लेकिन आज धीरे धीरे उस परिवर्तन को देख सकते हैं।
कोनमारी मैथड' पर्यावरणीय मुद्दों के साथ कैसे जुड़ा है?
कोनमारी दर्शनशास्त्र एक बहुत सचेत और अनुभव करनेवाला दर्शनशास्त्र है। यह केवल एक न्यूनतम जीवन शैली का तरीका नहीं है, अपितु उसके आनंदपूर्ण पक्ष की संवेदना से अधिक जुड़ा हुआ है। मेरे विचार से यह हमारे दैनिक जीवन और हमारी अपनी वस्तुओं के साथ हमारे व्यवहार की चेतना को उत्पन्न करता है।
यह उपभोक्तावाद और उस शैली का विरोधी है जहां लोग बिना विचारे खरिदारी करते हैं। इस प्रकार एक ऐसी जीवन शैली को बढ़ावा देता है जहां हम अपने जीवन में वस्तुओं के प्रति सचेत और प्रशंसात्मक हो जाते हैं और यह समझ लेते हैं कि आधारभूत स्तर पर खुशी और आनन्द किस चीज़ से मिलता है।
"हम सबके पास पूर्वजों द्वारा दी गई वस्तुएं एकत्र होती हैं और उन्हें त्यागना कठिन प्रतीत होता है।"
आप अपने ग्राहकों को सस्टेनेबल जीवन शैली की ओर किस प्रकार प्रोत्साहित करती हैं?
यह परिवर्तन धीमा और स्वचालित है क्योंकि जब आप कोनमारी दर्शनशास्त्र को लागू करके व्यवस्थीकरण यानी डीक्लटरिंग उत्सव को प्रारम्भ करते हैं, आपके लिए आपका हर निर्णय और आपके घर की प्रत्येक वस्तु का अर्थ बनना शुरू हो जाता है। जब ऐसा होता है तो लोगों को स्वयं ही सस्टेनबल जीवन शैली की आवश्यकता और अधिक महसूस होने लगती है।
मुझे यह भी लगता है कि वर्तमान परिस्थिति भी लोगों में इस विचार का एहसास कराने में सहायक है क्योंकि सब यह महसूस कर रहे हैं की चमकदार और सजावटी वस्तुओं को छोड़ कर केवल अनिवार्य वस्तुओं की ही आवश्यकता है।
क्या भारतीय ग्राहकों के साथ कार्य करना कठिन है?
मनो या न मनो, हम भारत के लोग जमाखोर हैं। अपने पूर्वजों द्वारा हमें दी गईं वस्तुओं को एकत्र कर लेते हैं, हालांकि एक लंबे समय से अनुपयोगी लगते हुए भी, उन्हें त्यागने में हमें कठिनाई महसूस होती है। और ये वस्तुएं भारत के अधिकतर घरों में प्रायः अव्यवस्था उत्पन्न करती है।
लेकिन कोनमारी विधि एक मानसिक अवस्था है जिसकी ९० प्रतिशत सफ़लता हमारी विचार प्रक्रिया पर निर्भर है। और यह केवल एक विधि नहीं है अपितु एक दृष्टिकोण है जो हमें स्वच्छ बनने और त्यागने के लिए सक्षम बनाता है। इसलिए जब मैं अपने ग्राहकों से 'क्या खुशी और आनंद पैदा करता और क्या नहीं?' जैसे प्रश्न पूछ कर उन्हें व्यवस्थीकरण उत्सव मनाने में मदद करती हूं, तो वे यह समझ पाते हैं कि त्यागना इतना कठिन नहीं है। यह धीमी प्रक्रिया है जो धैर्य की अपेक्षा रखती है। परन्तु निश्चित रूप से एक लक्ष्य सिद्ध प्रक्रिया है।
क्या हो यदि किसी के पास विस्तृत सफ़ाई प्रक्रिया के लिए समय ना हो? घर पर कोनमारी विधि को लागू करने के लघु उपाय कौन से हैं?
मेरे विचार से यदि कोई व्यक्ति कोनमारी विधि के आधारभूत दर्शनशास्त्र को समझ लेता है, जिसमें आप स्वयं से पूछते हैं, "क्या आनन्ददायक है?", तो इसे लागू करना अत्यन्त सरल है।
लेकिन हां व्यावहारिक रूप में पहला कदम हमेशा साहस की मांग करता है। इसलिए इसके लिए में आपको हर सुबह की शुरुआत अपना बिस्तर संवारने से करने की सलाह देती हूं। हालांकि यह सुनने में सामान्य प्रतीत होता है किन्तु विश्वास कीजिए की जब ऐसा होगा, यह आपको एक उपलब्धि का एहसास कराएगा और इससे भी बढ़कर आपका कमरा चुटकी बजाते ही कम बिखरा हुआ दिखाई देगा।
इसके अतिरिक्त क्योंकि कोनमारी विधि श्रेणी के अनुसार स्वच्छता पर आधारित है, इसलिए एक समय पर एक ही श्रेणी को पकड़ना सबसे अच्छा रहेगा। शुरुआती दौर में एक छोठी श्रेणी की पहचान श्रेष्ठ है (जो प्रायः एक ही स्थान तक सीमित है) जैसे बाथरूम में प्रयुक्त प्रसाधन सामग्री या स्टेशनरी, क्योंकि जब एक बार वो पूरी तरह से व्यवस्थित और आयोजित हो जायेगा, तो आपको एक संतुष्टि और उपलब्धि का एहसास होगा।
वस्तुओं को त्यागना डीक्लटरिंग यानी व्यवस्थीकरण प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
जब ग्राहक ऐसी वस्तुएं त्यागते हैं जो अब अधिक आनन्ददायक नहीं हैं, तब इन वस्तुओं का क्या होता है?
जॉय फ़ैक्ट्री में हम अपनी सेवाओं के माध्यम से एक सम्पूर्ण समाधान प्रस्तुत करते हैं। इस प्रकार 'वस्तुओं का त्याग' इस प्रक्रिया का एक अंदरूनी हिस्सा बनता है। इसके लिए हमने 'द क्लॉथबॉक्स फ़ाउन्डेशन', 'अर्थ सेवियर फ़ाउन्डेशन' और 'त्रिशूल' जैसी अलाभकारी और दानकारी संस्थाओं के साथ सहभागिता की हैं जो परित्यक्त बुज़ुर्गों, नारी सशक्तिकरण, बाल शिक्षा और ग्रामीण क्षेत्रों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए जन कल्याण कार्य करती हैं।
हालांकि अपनी सामग्री को अपने स्तर पर ही बाँट देने के प्रथम विकल्प के बाद यह विकल्प दिया जाता है (आप उन्हें अपने कर्मचारीओं को दे सकते हैं )। ऐसा करने के उपरान्त शेष बचा हुआ सामान हम ले जाते हैं और उसका सावधानी और समझदारी से निबटारा कर देते हैं।
मैरी कॉन्डो के साथ प्रशिक्षण का आपका व्यक्तिगत अनुभव कैसा था?
काम शब्दों में वह अद्भुत और खुशनुमा था। मैं उनकी करुणा, विनम्रता और अपने लक्ष्य के प्रति उनकी स्पष्ट दृष्टि से बहुत गहराई से प्रेरित हुई। 'स्पार्क जॉय' के उनके दर्शनशास्त्र ने मुझे ना केवल अपने जीवन को व्यवस्थित करने में अपितु अन्य अनेक पक्षों में सहायता की।
एक न्यूनतम जीवन शैली को अपनाने के इच्छुक लोगों के लिए आप कोई पुस्तक प्रस्तावित करेंगी?
प्रारम्भ करने के लिए मैरी कॉन्डो की पुस्तकें ‘द लाइफ़ चेंजिंग मैजिक ऑफ़ टाइडींग अप' और 'स्पार्क जॉय' श्रेष्ठ हैं। अन्य पुस्तकें जिन्हें मैं जोरदार तरीके से प्रस्तावित करूंगी, वे हैं, 'द लिटिल बुक ऑफ़ हयगय', 'द होम ऐडिट', ' द आर्ट ऑफ़ डिस्कार्डिंग'। आजकल मैं मैरी की नई किताब 'जॉय ऐट वर्क' पढ़ रही हूं जो आपको अपने कार्यस्थल को sस्वच्छ रखने में मदद करती है।
कार्य करते समय आप कौनसा संगीत सुनना पसंद करती हैं?
कार्य करते समय पहले मैं हमेशा अपने ग्राहकों से जानने का प्रयास करती हूं कि क्या वे कुछ सुनना पसंद करेंगे। परन्तु यदि मैं स्वयं कार्यरत हूं तो मैं हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों का पुराना संगीत सुनती हूं क्योंकि यह मुझे आनन्द देता है और मुझे अधिक कार्यशील बनाता है।
इन दिनों जॉय फ़ैक्ट्री एक आभासी व्यवस्थीकरण सैशन उपलब्ध करवा रहा है। यदि आप यह सेवा प्राप्त करना चाहते हैं, तो गायत्री गांधी से इस नंबर पर 9811661618, या [email protected] पर संपर्क करें। एथिको के पाठकों को विशेष छूट मिलेगी।
श्रद्धा उचिल एथिको में कंसल्टिंग फ़ीचर्स एडिटर के रूप में काम करती हैं। लगभग एक दशक तक बड़े प्रकाशनों के लिए खान-पान, व्यंजन और संस्कृति पर लिखने के बाद, श्रद्धा अब माँ का नया किरदार निभा रहीं है। अब वह सोचतीं है कि वह इस पृथ्वी को आने वाली पीढ़ियों के लिए कैसे बचा सकतीं हैं।