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ईमेल से होने वाला कार्बन उत्सर्जन

ईमेल से होने वाला कार्बन उत्सर्जन

Siddhant Ghalla
  • आपके इनबॉक्स से भारी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन हो सकता है। अब समय है अवांछित सामग्री की मांग समाप्त करने का।

सन् 2013 में गूगल ने इनबॉक्स को प्राइमरी, सोशल और प्रमोशंस टैब में विभाजित करके अब तक का एक सबसे बड़ा नवीनीकरण जारी किया था। इनबॉक्स की सामग्री अद्भुत रूप से साफ़ हो गई। इस नवीनीकरण के पश्चात जब भी आप अपना इनबॉक्स खोलते, आप केवल वही महत्वपूर्ण ईमेल प्राप्त करते जिन्हें आपको वास्तव में पढ़ने की आवश्यकता होती थी। शेष अनावश्यक सामग्री एक द्वितीयक टैब में पहुंचा दी गई।

सोशल और प्रोमोशनल टैब की ईमेल को उपेक्षित करना सरल है। और जीमेल द्वारा दी गई 15GB की प्रचुर भण्डारण की छूट होते हुए उनके ढेर से आपको कभी चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। परन्तु वास्तव में ये चिन्ता की बात है।

अनेक वस्तुओं की भांति ईमेल का भी कार्बन प्रभाव है, सन् 2019 में विश्व भर में भेजे और प्राप्त किए हुए लगभग 300 बिलियन ईमेल से होने वाला कुल कार्बन उत्सर्जन पर्याप्त अधिक है। इंग्लैण्ड की ‘लंकास्टर यूनिवर्सिटी' के पर्यावरण केन्द्र के प्रोफ़ेसर 'माइक बर्नर्स-ली अपनी पुस्तक हाऊ बैड आर बनानास : कार्बन फुटप्रिंट ऑफ़ एवरीथिंग, में अनुमानित करते हैं कि एक अवांछित फ़र्जी ईमेल से 0.3 ग्राम के बराबर, एक साधारण ईमेल से 4 ग्राम के बराबर तथा लंबे और थकाने वाली अटैचमेंट जैसे की फाइल्स या फोटोज़ से भरे ईमेल से लगभग 50 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है।

Spam spam everywhere. Image Source: Unsplash

एक औसत कार्यालय कर्मचारी प्रतिदिन 120 से 180 ईमेल प्राप्त करता है।यदि यह माना जाए कि इनमें से 50 प्रतिशत अवांछित फ़र्जी ईमेल, 25 प्रतिशत साधारण ईमेल और 25 प्रतिशत अन्य अटैचमेंट यानी फाइल्स या फोटोज़ जैसी सामग्रियों से युक्त ईमेल हैं, तो उनसे रोज़ उत्सर्जित होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड की न्यूनतम अनुमानित मात्रा लगभग 1638 ग्राम के बराबर होगी। और प्रतिवर्ष बढ़कर यह 0.6 टन हो जाएगी। यह मात्रा एक कार के 4000 किलोमीटर चलने के बराबर है।

ईमेल से इतना भारी कार्बन उत्सर्जन क्यों है? आपके यन्त्र पर एक ईमेल को लिखने, उसे खोलने और पढ़ने में विद्युत खर्च होती है। तथापि इस सरल आदान प्रदान की प्रक्रिया के पीछे संगणना और इंटरनेट की आधिकारिक संरचना का एक जटिल वैश्विक जाल बिछा हुआ है। ईमेल एक व्यापक सामग्री केन्द्र यानी डाटा सेंटर में एकत्रित होती हैं और उसके द्वारा भेजी जाती हैं जो प्रचुर मात्रा में विद्युत उपभोग करता है। 'बर्नर्स-ली' अनुमान लगाते हैं कि सन् 2020 में विश्व भर के डाटा सेंटर लगभग 250 से 340 मिलियन टन के बीच कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करेंगे। व्हाट्सएप जैसे त्वरित संदेश वाहक प्लेटफ़ार्म भी इसी के समान भारी, कार्बन उत्सर्जन करते हैं क्योंकि वे भी संदेश भेजने के लिए लगभग वैसी ही आधिकारिक संरचना का प्रयोग करते हैं।

Delete those emails, they are killing the planet. Image Source: Unsplash

आपके इनबॉक्स से कार्बन उत्सर्जन को कम करना सापेक्षित रूप से सरल है। आप अपने भानुमति के पिटारे को खोलिए जो कि आपका प्रमोशन टैब है और उन सभी मार्केटिंग ईमेल की सदस्यता समाप्त कर दीजिए जिन्हें सम्भवतः आप कभी नहीं खोलेंगे। ईमेल की अधिसूचना प्राप्ति को बन्द करने के लिए अपने सोशल मीडिया अकाउंट की संचार प्राथमिकताओं को बदल दीजिए। कार्य संबंधी ईमेल की सीसी पर पूरी टीम को लक्षित मत कीजिए और प्रत्युत्तर में धन्यवाद भेजना भी बन्द कर दीजिए। पुनरावृत्ति ईमेल की आवश्यकता से मुक्त होने के लिए यह सुनिश्चित कर लें कि आपकी प्रथम ईमेल में सभी प्रासंगिक सूचनाएं हों। नूज़्लिटरज़ यानी दैनिक सूचना-पत्रों के वर्षों के संग्रह को भी मिटा दीजिए। और अंततः जहां सम्भव हो फाइल्स और सूचनाओं को अटैचमेंट के रूप में भेजने की अपेक्षा केवल उनके लिंक ही भेजें।

आपके इनबॉक्स की सफ़ाई उतनी ही संतुष्टिप्रद है जितनी आपकी अलमारी, टेबल और कमरे की है। और ऐसा करना सरल भी है।

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