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जो आज ये पुस्तकें पढ़ेंगे, वो कल पर्यावरण के मार्ग दर्शक बनेंगे

जो आज ये पुस्तकें पढ़ेंगे, वो कल पर्यावरण के मार्ग दर्शक बनेंगे

Bhavini Pant
  • पर्यावरण से जुड़ी इन मज़ेदार, दिलचस्प और लुभावनी पुस्तकों में हैं कई ज़रूरी संदेश और सीख

अक्सर कहा जाता है कि छोटी उम्र में ही बच्चों को सही शिक्षा दें। अपने बच्चों को ग्रीन जीवनचर्या से आगाह कराने का कहानी एवं पुस्तकों जितना कोई बढ़िया तरीका है? शायद नहीं, और आप भी कई आश्चर्यचकित करने वाली चीज़ें सीखेंगे। इस लेख में बच्चों के लिए ऐसे ही ५ चित्र पुस्तकों के बारे में लिखा गया है जो बच्चों और बड़ों दोनों को एक समान पसंद आएँगी।


पुस्तक लीव्स
लेखक और चित्रकार एनरिके लारा रोबायो और लुइस फ़र्नांडो गारसीया गुआयारा
प्रकाशक काथा
आयु १-१० वर्ष के बच्चों के लिए

लीव्स एक अत्यधिक सरल पुस्तक है- किसी भी पृष्ठ पर एक से ज़्यादा वाक्य नहीं! पर इसके सुहावने चित्र हर एक पृष्ठ को किसी चित्रकला की तरह सजा देते हैं। यह आश्चर्य की बात नहीं कि इस पुस्तक और इसके लेखक, एनरिके रोबायो और लुइस गुआयारा, दोनों को ही बारहवें नोमा कॉन्कोर्ज़ फ़ॉर पिक्चर बुक इलस्ट्रेशन अवॉर्डज़ में पुरस्कार मिला।

कहानी की शुरुआत कथावाचक की खिड़की से होती है। धीरे-धीरे, कई दिनों के समय में यह बहुत से नए विचार और उक्तियों के साथ आगे बढ़ती है। अंत में कथावाचक की आँख लग जाती है। यह बच्चों को अपने आस-पास के पर्यावरण पर उत्सुकता के साथ ध्यान देने के लिए प्रेरित करती है। बच्चे रोज़मर्रा के बदलाव का आंनद कैसे उठाएँ, यह सीख भी कहानी बख़ूबी सिखाती है। यह एक ऐसी पुस्तक है जो किसी भी वर्ष के बच्चे को पसंद आएगी। इसमे दिए गए चित्र मेरे ९ महीने के बच्चे को भी आकर्षक लगे, जो झट से अपने खिलौनों को छोड़ पुस्तक की ओर आगे बढ़ा/बढ़ी।

अपने बच्चे को आप इसमें दिए गए चित्रों का वर्णन करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। इसे बाहर किसी बागीचे या पार्क में पढ़ना भी एक उत्तम कार्य होगा, क्योंकि बच्चे दिए गए चित्रों को अपने आस-पास देख सकते हैं। लीव्स कोई ऐसी पुस्तक नहीं जिसके सिर्फ़ पन्ने पलटे जाएँ, यह एक अनुभव है जिसका भरपूर आनंद लेना चाहिए। सोने से पहले भी आप बच्चों को यह पुस्तक पढ़ सकते हैं।


पुस्तक हु एट ऑल दैट अप?
लेखक सेजल मेहता
चित्रकार रोहन चक्रवर्ती
प्रकाशक प्रथम बुक्स
आयु ३-६ वर्ष के बच्चों के लिए

हु एट ऑल दैट अप? एक माज़ेदार और मज़ाकिया चित्र पुस्तक है जो कि एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करती है- वन अपना कचरा या वेस्ट कैसे डिस्पोज़ करते हैं? तब क्या होता है जब शिकारी अपना अपना खाना यानी मांस जंगल में ही छोड़ देते हैं या फिर जब पत्ते, टहनियाँ और पशुओं का शौच जंगल में इकट्ठा होने लगता है? कीड़ें और फंगाई यानी फफुंद का एक जीवन-रक्षक दल इस कचरे को खत्म करने की ज़िम्मेदारी उठाता है।

यह पुस्तक भले ही छोटी हो (केवल १२ पन्ने) पर इसके रोमांचक प्रश्न-उत्तर बायोडिग्रेडेबल कचरे के खंडित एवं संसाधित होने की प्रक्रिया पर रौशनी डालते हैं। इस पुस्तक के चित्र और लेखन दोनों ही एक दूसरे से मेल खाते हैं। इस कहानी में एक ऐसा लालची किरदार है जो बचे हुए खाने को बार-बार खाने आ जाता है! इस वजह से अन्य किरदार उससे अपनी नाराज़गी, चिड़चिड़ाहट और गुस्सा जताते हैं।

जब मैं बच्चों के सामने यह पुस्तक पढ़ती हूँ तो मैं उन्हें जंगल में पशुओं द्वारा उत्पन्न किए गए कचरे और इंसानों द्वारा उत्पन्न किए गए कचरे में तुलना करने के लिए कहती हूँ। इससे उन्हें एक स्तंभित कर देने वाली बात का अहसास होता है। यही कि हम ही ऐसी एक जाति हैं जिसके द्वारा उत्पन्न हुआ कचरा प्राकृतिक तरीके से खंडित नहीं किया जा सकता।

स्वच्छ और ग्रीन जीवन शुरू करने का एक अच्छा तरीका है कि आप अपने बच्चे को कचरा उत्पन्न होने की प्रक्रिया पर विपरीत ढंग से सोचना सिखाएँ। यह पुस्तक इस दिशा की ओर एक उत्तम शुरुआत होगी। यह एक चुलबुली कहानी है जो पुस्तक में कई बार दोहराई गई है, जिस वजह से यह ३ से ६ साल तक के बच्चों के लिए उचित है। आप इसके विचित्र किरदारों (जैसे कि मक्खियाँ, फफुंद और कीड़ें) के लिए भिन्न-भिन्न आवाज़ें निकाल इसे और भी मनोरंजक बना सकते हैं।

यह प्रथम बुक्स द्वारा प्रकाशित की गई है और आप इसे उनके डिजिटल प्लेटफॉर्म, स्टोरी वीवर से डाउनलोड कर सकते हैं।.


पुस्तक आई विल सेव माई लैंड
लेखक रिंचिन
चित्रकार सागर कोलवांकर
प्रकाशक तुलिका बुक्स
आयु  ८-१० वर्ष के बच्चों के लिए

आई विल सेव माई लैंड, इस पुस्तक का नाम पहले पृष्ठ से ही इस कहानी की गंभीरता को स्थापित कर देती है। मुख्य किरदार माति एक साहसी-छोटी बच्ची है जो एक भारी आलू की टोकरी उठाते समय गिर जाती है, यह आलू वह अपनी अज्जि के खेत में से चुन कर लाई है। छोटी माति का इस खेत के साथ बहुत ही मज़बूत लगाव है जो कि उसकी अज्जि ने उन ऊँची जाति के लोगों से एक कठिन क़ानूनी लड़ाई के बाद जीता था, जो इस खेत पर कब्ज़ा करना चाहते थे। बहुत मशक्क़त के बाद, अज्जि अपने खेत का हिस्सा माति को देने के लिए मान जाती हैं, ऐसा माति जैसी दृढ़ और नम्र लड़कियाँ ही कर सकती हैं।

पर जल्द ही माति की जीत पर एक कोयला कंपनी के रूप में खतरा मँडराने लगता है। इस नन्ही योद्धा को अपना खेत बचाने के लिए, कंपनी के ख़िलाफ़ लड़ना पड़ता है, जो की नन्ही माति से कहीं ज़्यादा शक्तिशाली है- एक ऐसी परिस्थिति जो असलियत में कई बार दोहराई जा चुकी है। इस कहानी की खास बात यह है कि इसका लेखन माति की अंदरूनी दुनिया का चित्र बनाता है। यह खेती-बारी की जटिलता और ज़मीन कब्ज़ा करने की राजनीति को इस तरह पेश करता है कि ये विषय अत्यधिक सरल न लगें और ना ही ऐसा लगे की बच्चे को ज्ञान बाँटा जा रहा है। माति, अज्जि और उनके दोस्तों की आवाज़ बिल्कुल स्पष्ट और ज़ोरदार है, इसका लक्ष्य पढ़ने वाले को दया भाव नहीं बल्कि एकजुटता महसूस कराना है। कहानी में कुछ ऐसे लम्हें हैं जहाँ आँसू रोक पाना कठिन हैं।

इसका कोई निश्चित अंत नहीं जिस वजह से पाठक कहानी से अपनी निजी सीख ले सकता/सकती है। क्योंकि यह कहानी कुछ बच्चों के लिए काफ़ी गहरी और गंभीर हो सकती है, मैं इसे ८ साल या उससे ऊपर के बच्चों को देने की सलाह दूँगी।

यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है क्योंकि बच्चों को यह जानना ज़रूरी है कि उनका भोजन कहाँ से आता है, इसे कौन बनाता है, और यह किस खतरे से जूझ रहा है। एक और महत्वपूर्ण शिक्षा यह भी है कि बदलाव लाने के लिए कोई ज़्यादा छोटा या बड़ा नहीं होता है।


पुस्तक अ भिल स्टोरी
लेखक और चित्रकार:
शेर सिंह भिल, नीना सबनानी और टीम
प्रकाशक
तुलिका बुक्स

चित्र पुस्तकों के बारे में एक सबसे अच्छी बात यह है कि चित्र और शब्दों की प्रस्तुति एक बहुत ही अटूट ढंग से होती है- किसी उपन्यास या लेखन से परे। बच्चें शब्दों से पहले 'चित्र' पढ़ते हैं। अ भिल स्टोरी बच्चों को चित्र पढ़ने का एक ऐसा ही अवसर देती है। हर एक पृष्ठ पिथोरा नामक भिल कला के चित्रों से सजा हुआ है और हर एक चित्र के विवरण पर सटीकता से ध्यान दिया गया है।

आप अपने बच्चे को यह कहानी किसी भी भाषा में सुना सकते हैं, भले ही आपने यह किसी एक भाषा में क्यों ना खरीदी हो (तुलिका ने यह पुस्तक ८ भाषाओं में प्रकाशित की है।.) यह कहानी अलग-अलग ध्वनियों का आनंदमय मिश्रण है- हर एक अनुच्छेद ध्वनि, विस्मय बोधक चिह्न और और तरह-तरह के चाल-चलन से भरपूर है। यह कोई आश्चर्यचकित करने वाली बात नहीं है क्योंकि यह कहानी एक एनीमेशन फ़िल्म, एक भिल नि वरता से उत्पन्न हुई है जो इसी टीम ने बनाई है। जब भी मैं इस कहानी को पढ़ती हूँ, इसके शब्दों की लय और संगीतात्मक भाषा हमेशा मुझे अचंभित कर देती है।

जल संरक्षण के ऊपर यह एक रूपक कहानी है- पेड़ों के ऊपर 'चित्र बनाना' भिल विचारधारा का हिस्सा है जिसमें चित्र कला पूजा का ही एक रूप है जो कि प्रकृति के सुरक्षा के लिए किया जाता है। बच्चों को जल का महत्व सिखाने के लिए यह एक बहुत ही अच्छी पुस्तक है। इससे बच्चे भिल जाति की विचारधारा के बारे में भी सीख सकते हैं, जो कि प्रकृति के साथ एक शांतिपूर्वक जीवन बीताने की प्रथा को बढ़ावा देती है।


अगर आप यह पुस्तकें अपने बच्चों के लिए खरीदना चाहते हैं तो ऑनलाइन ऑर्डर करने से पहले किसी बुक स्टोर जाने पर भी ज़रूर विचार करें। और अगर आप निम्नलिखित शहरों में रहते हैं तो इन स्थलों के बारे में जानिए जो कि खास बच्चों के लिए हैं।

मुंबई
कहानी ट्री (प्रभादेवी) और महाराष्ट्र मित्र मंडल पुस्तकाल्य (पश्चिम बांद्रा)

भिलर
भिलर एक ऐसा गाँव है जो खासकर पुस्तकों के लिए बनाया गया है। यहाँ आप कई किताबें पढ़ सकते हैं। जब आप पंचगनी-महाबलेश्वर सड़क पर सफ़र कर रहें हो तो आप यहाँ जा सकते हैं।

बेंगलुरु
कुक टाउन में लाइटरूम (हालही में इन्होंने बच्चों के सेकेंड हैंड पुस्तकों के लिए नई जगह शूरू की है) बसवंगुड़ी में कुतूहाला मल्लेश्वरम में फ़ोकस बुकशॉप और एम.जी रोड के पास चंपक।

चेन्नई
तारा और तुलिकादो बहुत ही शानदार प्रकाशक हैं, जो अपने ऑफ़िस से पुस्तकें भी बेचते हैं। ये तिरुवन्मियूर और अलवरपेत में मौजूद हैं। लिब्रोस बच्चों के लिए एक छोटा सा और मनोहर पुस्तकालय है जो अन्ना नगर के एक घर में स्थित है।

तिरुवनन्तपुरम
द रीडिंग रूम एक घर जैसी, छोटी सी पर बहुत ही शानदार बुक शॉप और पुस्तकालय है। यह बड़ों और बच्चों दोनों के लिए ही है और यहाँ समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

दिल्ली
हमारी राजधानी भारत के प्रकाशन उद्योग के लिए मुख्य स्थल है। यहाँ पुस्तकालय और बुक शॉप्स की कमी नहीं पर डॉ. बी.सी रॉय मेमोरियल चिल्ड्रेंस लाईब्रेरी जो कि चिल्ड्रेंस बुक ट्रस्ट बिल्डिंग में स्थित है, भारत में बच्चों के लिए सबसे बड़ी पुस्तकालय है। यहाँ एक बार तो ज़रूर जाना चाहिए।

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