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मूल आधारों की ओर वापिस लौटना - अलमित्रा की (सस्टेनेबल) कहानी

मूल आधारों की ओर वापिस लौटना - अलमित्रा की (सस्टेनेबल) कहानी

Neha Talwalkar
  • सोश्यल औन्ट्रोप्रॅन्योर एवं अलमित्रा सस्टेनेब्लज़ की संस्थापक अनामिका सेनगुप्ता बताती हैं, की कैसे उन्होंने धीमी गति के जीवन जीने की कला में सिद्धि प्राप्त करने के साथ - साथ दो बहुत ही सफ़ल उद्योगों की भी स्थापना की |

टूथब्रश - एक ऐसी वास्तु, जिसे हम सब ने अपनी ज़िन्दगी में दर्जनों बार खरीदा और इस्तेमाल किया होगा | यह अनुमान लगाना गलत नहीं होगा कि ९५% लोगों ने आज तक सिर्फ प्लास्टिक के टूथब्रशों का ही इस्तेमाल किया होगा या फिर हाल ही में उसकी जगह पर बांस के टूथब्रश का इस्तेमाल करना शुरू किया होगा | "तो अगर, अलमित्रा सस्टेनेब्लज़ के ज़रिये हमने पिछले १.५ साल में एक मिलियन टूथब्रश बेचे हैं, तो इसका मतलब यह है की हम एक मिलियन ज़िन्दगियों को बदलने में, या फिर कम से कम उन्हें एक सकारात्मक रूप से छू पाने में सफ़ल हुए हैं | लेकिन मैं यह नहीं कह रही कि इसमें गौर करने वाली बात हमारी बिक्री के आंकड़े हैं | असल में गौर करने वाली बात तो यह है की लाखों लोग हर दिन डिस्पोज़िबल - यानी जल्दी इस्तेमाल ख़तम होने वाली और तुरंत कचरे में फेंक दी जाने वाली वस्तुओं से दूर हटकर सस्टेनेबल - यानी प्राकृतिक और टिकाऊ वस्तुओं की ओर बढ़ रहे हैं; और हमारा लक्ष्य यह है की हम ऐसे लोगों को अधिक से अधिक प्राकृतिक विकल्प चुनने का मौका दें | रोज़ाना इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ ऐसे सरल प्रॉडक्ट्स का उप्तादन करें, जिनका लोगों पर एक भारी प्रभाव पड़े |" - कुछ ऐसा कहना है खूब उत्साह से भरी हुई और खूब जोशीली अनामिका सेनगुप्ता का, जो अपने पति बिप्लब दत्ता के साथ , भारत के सबसे प्रमुख और चर्चित ईको कॉन्श्यस ब्रैंड - यानी प्रकृति को लेकर पूर्ण जागरूकता से काम करने वाली एक कंपनी, "अलमित्रा सस्टेनेब्लज़" की संस्थापक हैं | एक बहुत बड़ी आई. टी. कंपनी की ग्लोबल रिक्रूटमेंट हेड रह चुकी अनामिका ने तब औन्ट्रोप्रॅन्योरशिप की ओर रुख मोड़ा, जब उन्हें अपनी मैटरनिटी लीव के दौरान अपने कार्यालय में एक बहुत ही कड़वी घटना का अनुभव करना पड़ा |

माँ बनने के बाद सबसे पहले खरीदी हुई वस्तुओं में से एक था मेरा बेबी स्लिंग - जिसे मैंने ख़ास अमैरिका से मंगवाया था | बेबी स्लिंग को देखते ही मै इस सोच में पड़ गई कि असल में देखा जाए तो इसका भारतीय संस्कृति से कितना गहरा पारम्परिक और प्राकृतिक रिश्ता है, और इसी के चलते यह कितने दुख की बात है, की मुझे इसे विदेश से मंगवाना पड़ा |

"मेरे पास दो विकल्प थे - या तो मैं कोई नई नौकरी कर लूँ, या फिर अपने अंदर कि आवाज़, और अपने रचनात्मक भाव पर भरोसा करूं | हुआ यूँ, कि प्रैगनन्सी के दौरान, और तुरंत बाद प्राकृतिक रूप से उत्पन होने वाले क्रिएटिव ऐंज़ाइम्ज़, यानी रचनात्मक कैमिकल पदार्थो और उनकी नशीली "हाई" का सहारा लेकर, आखिरकार मैंने अपनी अंधरूनी आवाज़ पर भरोसा करने का निर्णय लिया |" ऐसा कहना है छह साल के निओ कि माँ, अनामिका का | "माँ बनने के बाद सबसे पहले खरीदी हुई वस्तुओं में से एक था मेरा बेबी स्लिंग - जिसे मैंने ख़ास अमेरिका से मंगवाया था | बेबी स्लिंग को देखते ही मै इस सोच में पड़ गयी कि असल में देखा जाए तो इसका भारतीय संस्कृति से कितना गहरा पारम्परिक और प्राकृतिक रिश्ता है, और इसी के चलते यह कितने दुःख की बात है, की मुझे इसे विदेश से मंगवाना पड़ा | तो फिर मैंने ऐसा किया, कि मैं खुद से ही स्लिंग्ज़ बनाने लगी, और देखते ही देखते, बात ऐसी फैली, कि अचानक से नए माता पिताओं का एक पूरा वर्ग, मुझसे "बेबी वैरिंग" पर सलाह मश्वरा मांगने लगा | इसी तरह २०१५ में जन्म हुआ अलमित्रा तत्त्व का, जो कि अलमित्रा सस्टेनेब्लज़ कि पैरेंट कंपनी है | अलमित्रा तत्त्व का लक्ष्य है भारतीय बेबी वैरिंग को एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करना | हमने इस कार्य के लिए एक क्यूरेटेड वैबसाईट और १२ क्षेत्रीय फेसबुक ग्रूप्स भी बनाए हैं, और कई देशों में हमारे प्रतिनिधि भी नियुक्त किए हैं | दिलचस्पी कि बात यह है, कि हमारी ९०% बिक्री यूरोपियन मार्केट्स में होती है | वैसे बिप्लब भारत के सबसे पहले प्रमाणित किए गए मेल बेबी वैरिंग कंसल्टंट भी हैं |

Image Source: Almitra Tattva

अलमित्रा तत्त्व के लिए देश भर के अलग अलग कारीगरों के साथ काम कर, मुझे खूब सारी नई सस्टेनेबल तकनीकों और प्रॉडक्ट्स का ज्ञान हुआ |

अलमित्रा सस्टेनेब्लज़ का लॉन्च वर्ल्ड अर्थ डे - ५ जून २०१८ के दिन हुआ था | अनामिका याद करती हैं कि, "निओ का पहला दांत साफ़ करने के लिए, उसके मुँह में प्लास्टिक कि कोई वास्तु डालना, मुझे गवारा नहीं था | वैसे भी, हमने निओ को प्रकृति के बीच पाल पोस के बड़ा किया था | उसके इस कुदरती स्वभाव को बनाए रखना हमारे लिए एक बहुत बड़ी प्राथमकिता थी, और इसी कारण मैंने रोज़ मर्रा कि ज़रूरत कि वस्तुओं के लिए स्वस्थ और प्राकृतिक विकल्पों को खोजना शुरू कर दिया | अलमित्रा तत्त्व के लिए देश भर के अलग अलग कारीगरों के साथ काम कर, मुझे खूब सारी नई सस्टेनेबल तकनीकों और प्रॉडक्ट्स का ज्ञान हुआ | कुछ साल पहले, मुझे यह भी नहीं पता था, कि वाकई में बांस का भी कोई टूथब्रश होता है; और अब देखिये, हम इन्हे कितने सारे और लोगों के लिए भी बना रहे हैं |" यह कहकर अनामिका हस्ती हैं |

अलमित्रा का कौनसा प्रॉडक्ट अनामिका का सबसे पसंदीदा है ? "नारियल से बना कॉइर स्क्रब! यह इस्तेमाल करने और डिस्पोज़ करने में जितना लगता है उससे कईं ज़्यादा सरल है, और उतना ही आसान है जितना मुश्किल और जटिल इसका निर्माण और इसका कार्य है |" कहती हैं अनामिका | "हम इसके लिए केरेला के सरकारी कॉइर क्लस्टर के साथ काम कर रहे हैं | प्लास्टिक स्क्रब के बदले में यह कमाल का नया विकल्प इतना सस्ता और सोच समझ से बनाया गया है, की इसका उत्पादन, सस्टेनेबिलिटी के क्षेत्र में किसी क्रांति से कम नहीं है | यह टिकाऊ है, पानी के संपर्क में आने से अच्छे से फूल जाता है, और अंदर से इतनी अच्छी तरह से सिला हुआ है, की यह दूसरे कॉइर्ज़ की तरह आसानी से टूटता या बिखरता नहीं है; ऊपर से, यह हमारी आधुनिक स्युएज सिस्टम की पतली नालियों के लिए एकदम पर्याप्त है |

 

यह टिकाऊ है, पानी के संपर्क में आने से अच्छे से फूल जाता है, और अंदर से इतनी अच्छी तरह से सिला हुआ है, की यह दूसरे कॉइर्ज़ की तरह आसानी से टूटता या बिखरता नहीं है |

यूँ तो सोश्यल औन्ट्रोप्रॅन्योर्ज़ को कई अलग - अलग तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, परन्तु जब हमने अनामिका से इस बारे में पूछा, तो उन्होंने हमें एक ऐसा रोचक उत्तर दिया, जिसकी हमें कामना ही नहीं थी | "हमारी शुरुआत धीमी थी, और हमें लगा था की हम सिर्फ़ सस्टेनेबल लिविंग के लक्ष्य की प्राप्ति में अपना छोटा सा हिस्सा निभा रहे हैं | लेकिन, हमारे प्रॉडक्ट्स के प्रति लोगों की प्रत्रिकीया देख हमें काफ़ी आश्चर्य हुआ - हमें यकीन नहीं हो रहा था की उनकी मांग इतनी ज़्यादा थी ! मै जानती हूँ की आज के समय में प्रकृति पे मंडरा रहे संकट को देख, हमे अपनी उत्पादकता तेज़ी से बढ़ानी चाहिए, लेकिन मै अपनी गति तब कैसे बढ़ा सकती हूँ, जब मुझे पता है की इसका सीधा असर हमारे लक्ष्य, और हमारे ब्रैंड के मूलतत्वों पर पड़ेगा | मुझे मटीरियल्ज़ से लेकर मैन्युफैक्चरिंग की प्रक्रिया और पैकेजिंग तक को पूर्ण बारीकी से देखना पड़ता है, ताकि हम हमारे ईको फ्रैंडली बने रहने के लक्ष्य से ज़रा भी ना भटकें | तो जब लोग मुझे हमारी फ़ंडिंग और उप्तादन बढ़ाने की क्षमता आदि के बारे में पूछते हैं, मै उनसे सिर्फ़ इतना ही कहूँगी की मै नहीं चाहती की हमारी कुदरती गति और लय में कोई बदलाव आए | हाँ, मै और नए लोगों तक ज़रूर पहुंचना चाहती हूँ, लेकिन मै उन तक अपनी गति, और बिना अपने मूल आधारों को खोए पहुंचना चाहती हूँ |

मै जानती हूँ की आज के समय में प्रकृति पे मंडरा रहे संकट को देख, हमे अपनी उत्पादकता तेज़ी से बढ़ानी चाहिए, लेकिन मै अपनी गति तब कैसे बढ़ा सकती हूँ, जब मुझे पता है की इसका सीधा असर हमारे लक्ष्य, और हमारे ब्रैंड के मूलतत्वों पर पड़ेगा |

अलमित्रा के ग्राहक बढ़ते देख आपको हिम्मत तो खूब मिलती होगी, लेकिन कई विशेषज्ञों और उनकी रिसर्च का यह मानना है की शहरों में रहने वाली ज़्यादातर आबादी के लिए सस्टेनेबल लिविंग का विचार, अभी भी बड़े दूर की बात है | इस सन्दर्भ में हम उनके बीच और ज़्यादा जागरूकता कैसे फैला सकते हैं ? "क्लाइमेट चेंज, यानी प्रदूषण की वजह से आ रहा वातावरण में बदलाव, सच में दिन प्रतिदिन बढ़ तो रहा है, लेकिन सब इसके खिलाफ छिड़ी जंग से अपने आप को जोड़ नहीं पाते | यह एक विशाल अकल्पनीय चुनौती सी लगती है, और कई लोग अक्सर इस विषय से जूझते हुए, अपने आप को असहाय और लाचार महसूस करते हैं | हाँ, शायद पूरी धरती पर छाए संकट को हल करना हमारे वश में नहीं है, लेकिन हम अपनी रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी पर तो नियंत्रण रख ही सकते हैं | हमे हमेशा इस बात का बारीकी से ध्यान रखना चाहिए की हम अपने शरीर को किन - किन और कितनी तरह के कैमिकल्ज़, प्लास्टिक, और अन्य हानिकारक पदार्थों के संपर्क में ला रहे हैं | हम जो भी वस्तु खरीद रहे हैं, या खा रहे हैं, उसमे कौन - कौन सी सामग्री या पदार्थ हैं, हमें उसका भी ध्यान रखना चाहिए | सभी मौजूद विकल्पों में से भी केवल सबसे प्राकृतिक और कैमिकल रिक्त वस्तुओं को चुनकर भी आप अपनी खुद की, और साथ ही साथ पूरी धरती की सहायता कर सकते हैं | जब हम ऐसा करने लगेंगे, तो उसके बाद हमारा अगला लक्ष्य इन अर्टिफिशियल, हानिकारक वस्तुओं और अधिक खपत का पूरी तरह से बहिष्कार करना होगा | पुरानी वस्तुओं की रीसाइक्लिंग और उन्हें पुनः उपयोगी बनाना मेहेत्वपूर्ण ज़रूर है, लेकिन इसकी जगह, हमारी कोशिश यह होनी चाहिए की हम प्राकृतिक संसाधनों को व्यर्थ नष्ट न करें।"

हमे हमेशा इस बात का बारीकी से ध्यान रखना चाहिए की हम अपने शरीर को किन - किन और कितनी तरह के कैमिकल्ज़, प्लास्टिक, और अन्य हानिकारक पदार्थों के संपर्क में ला रहे हैं | हम जो भी वस्तु खरीद रहे हैं, या खा रहे हैं, उसमे कौन - कौन सी सामग्री या पदार्थ हैं, हमें उसका भी ध्यान रखना चाहिए | सभी मौजूद विकल्पों में से भी केवल सबसे प्राकृतिक और कैमिकल रिक्त वस्तुओं को चुनकर भी आप अपनी खुद की, और साथ ही साथ पूरी धरती की सहायता कर सकते हैं |

अनामिका मानती हैं की आज के ज़माने में, सोश्यल औन्ट्रोप्रॅन्योर बनना एक बेहद अच्छा विकल्प है | उन्हें अपनी प्रेरणा, दिल्ली में स्थित "द अर्थ कलैक्टिव" और, अपने और नज़दीकी के #माहिमबीचक्लीनअप से मिलती है | "एक साधारण पति पत्नी अपनी ज़िम्मेदारी निभाने के लिए एक बीच पर जाकर उसे साफ़ करते हैं - और धीरे धीरे और लोग उनके साथ जुड़ते जाते हैं | जब हमने अपने घर से काम शुरू किया, तो हमारी भी बुनियादी फिलोसॉफी यही थी | मेरा ध्यान भी सिर्फ़ हमारी ज़िन्दगी में नए और बेहतर विकल्पों को लाना था, लेकिन लोगों के हम पर जताए विश्वास की वजह से, बात इतनी आगे तक बढ़ गई | एक बार जो लोग आपके कार्य, आपके लक्ष्य, और आपकी मेहनत में यकीन करने लगें, तो फिर कुछ भी मुमकिन है।" यह कहकर, अनामिका अपनी मन की बात समाप्त करती हैं और हमसे अलविदा लेती हैं |

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