भारत के युवा जलवायु योद्धाओं से मिलिए
- विगत वर्षों में, विश्व भर से युवा लोग जलवायु संकट के खिलाफ़ लड़ाई का नेतृत्व करते रहे हैं। ये उनमें से पांच ऐसे भारतीय युवा नाम हैं जो परिवर्तनकारी बदलाव लेकर आए हैं।
Suchitra is an independent journalist working on social justice with…
पिछले कई वर्षों में, पूरे विश्व के युवा उद्योगों के कारण पारिस्थितिकी विनाश को रोकने तथा जलवायु परिवर्तन की लड़ाई लड़ने के उद्देश्य से संगठित हुए हैं। पूरे विश्व में युवा कार्यकर्ताओं की सेनाएं पृथ्वी की रक्षा के लिए युद्ध लड़ रही हैं तथा सत्ताधीश राजनेताओं से इस उभरते संकट से लड़ने का आग्रह कर रही हैं।
ऑस्ट्रेलिया के मिलोऊ अलब्रेच्ट केवल १५ वर्ष के हैं परन्तु देश की कोयला खदानों के विरोधी युवा आन्दोलन में सबसे आगे खड़े हैं। और सत्रह वर्षीय 'ग्रेटा थुनबर्ग' अब विश्व भर में सरकारों और कानून निर्माताओं को अगली पीढ़ी के लिए 'कुछ बेहतर' करने की चुनौती देने के लिए जानी जाती हैं। अपने देश भारत में 'एथिको' ने पहले ही रिधिमा पाण्डे और अर्चना सोरेंगजैसी कार्यकर्ताओं के प्रयासों के विषय में लिखा है। अब प्रस्तुत हैं पांच अन्य युवा भारतीय, जो विश्व को जलवायु संकट के विषय में जागरूक हो जाने का आग्रह कर रहे हैं।
गर्विता गुलाटी
बैंगलोर निवासी 'गर्विता' जल संरक्षण के विषय में उठा सबसे तीव्र स्वर हैं। ये २० वर्षीया बी टेक विद्यार्थी उस समय केवल १५ वर्ष की थीं जब वे व्हाय वेस्ट, नामक एक संस्था की सह संस्थापक बनीं, जो मुख्यतः भोजनालयों के साथ जुड़कर उन्हें 'ग्लास हाफ़ फ़ुल' नामक एक पहल के माध्यम से यह सिखाती है कि पानी के अपव्यय को कैसे कम किया जा सकता है। यह छोटा सा विचार तीव्रता से एक बड़े उद्देश्य में परिणत हो गया और वर्तमान में 'व्हाय वेस्ट' जल के प्रयोग में सुधार लाने और जल के अपव्यय का बचाव करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है। वर्ष २०१८ में 'गर्विता' 'ग्लोबल चेंजमेकर' की उपाधि के लिए नामित होने वाली अकेली भारतीय थीं। अगले वर्ष उन्हें 'संयुक्त राष्ट्र' के 'युवा जलवायु सम्मेलन' में वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया । जुलाई २०२० में उन्हें 'राजकुमारी डायना' की स्मृति में स्थापित 'द डायना अवॉर्ड' प्रदान किया गया जो एक युवा व्यक्ति को उसके सामाजिक कार्यों तथा मानवतावादी प्रयासों के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।
जॉन पॉल जोस
केरल में जन्मे 'जॉन पॉल जोस' की 'पर्यावरणीय सक्रियता' की यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने लगभग पांच वर्ष पूर्व 'येट्टीनाहोल प्रोजेक्ट' के विरोध में हुए आन्दोलन में भाग लिया। बाद में वर्ष २०१८ में जॉन फ़्राइडे फ़ॉर फ़्यूचर संस्था के एक युवा नेता के रूप में यह पता लगाने के लिए निकले कि भारत नेता जलवायु संकट से बचने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं। २२ वर्षीय यह युवा अब भी एक उत्साही कार्यकर्ता के रूप में भारतीय दृष्टिकोण से जलवायु सम्बन्धी उपायों और विशेषतः भारतीय वनों और पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रहे वैश्विक तापमान यानी ग्लोबल वार्मिंग की समालोचना करते हैं। वे अनुसंधान, सक्रिय कार्य, वनरोपण अनेक संस्थाओं के साथ परिदृश्य प्रबन्धन में सहयोग तथा जीवन के योग्य भविष्य की रक्षा के लिए अन्य गतिविधियों में व्यस्त हैं। विगत कुछ वर्षों में, जॉन 'ग्रीनपीस' के साथ मिलकर काम कर रहे हैं तथा 'जेन-ज़ी थिंक-टैंक इर्रेगुलर लैब्स' में एक सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं। वे 'यू.एन.सी.सी.डी' (मरुस्थलीकरण के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन) के युवामंच तथा 'यू.एन.ई.पी.' (समुद्री कूड़े और प्लास्टिक पर काम कर रहे समूह) के सदस्य भी हैं। वर्तमान में, वे एक मिनी फॉरेस्ट के निर्माण पर कार्य कर रहे हैं तथा ऑनलाइन मीटिंग्स और वेबिनारों के माध्यम से पर्यावरणीय न्याय के मामलों में व्यस्त हैं।
मलाइका वाज़
मलाइका वाज़ एक २३ वर्षीय खोजकर्ता, वन्य जीवन फ़िल्म निर्माता एवं टी.वी. प्रस्तुतकर्ता हैं जिनका काम 'वन्यजीवन के संघर्ष तथा सहअस्तित्व' से सम्बन्धित कहानियों के माध्यम से पर्यावरणीय प्रभाव को उभारने पर केन्द्रित है। गोवा की इस लड़की के पास उपलब्धियों की एक लम्बी सूची है जिसमें इनका १५ वर्ष की आयु में आर्कटिक और अंटार्कटिक यात्रा पर सबसे कम उम्र के सदस्य के रूप में भाग लेना शामिल है, साथ ही राष्ट्रीय स्तर का 'विंडसर्फ़र' होना, 'पी.ए.डी.आई' डाइवमास्टर, 'लेसर सेसना पायलट' तथा 'नेशनल ज्योग्राफ़िक एक्सप्लोरर ग्रांट' से सम्मानित होना भी शामिल है। उन्होंने राजनीति विज्ञान के अध्ययन हेतु कॉलेज में प्रवेश लिया था। परन्तु शीघ्र ही 'फ़ेलिस क्रिएशंस' में 'वन्य जीवन खोजकर्ता' के रूप में कार्य प्रारम्भ करने के लिए कॉलेज छोड़ दिया। कुछ समय पूर्व उन्होंने 'वाइल्ड ऐड' तथा 'वाइल्डलाइफ़ ट्रस्ट ऑफ़ इण्डिया' जैसे संरक्षण समूहों के लिए गैरकानूनी समुद्री तस्करी तथा पशु व्यापार के मामलों का पता लगाया। मलाइका एक सामाजिक न्याय संघर्षकर्ता भी हैं और क्रिया, नामक संस्था के प्रमुखों में से एक हैं, जो सामाजिक हाशिए पर खड़ी स्त्रियों के सशक्तीकरण के लिए कार्य करती हैं। उन्होंने हाल ही में 'लिविंग विद प्रीडेटर्स' नामक एक सिरीज़ तीन भागों में बनाई है, जिसमें भारत की देशज जनसंख्याओं को भारत की 'बिग कैट्स' की रक्षा करते दर्शाया गया है।
आदित्य मुखर्जी
कुछ वर्ष पूर्व, गुड़गांव निवासी आदित्य मुखर्जी ने एक वीडियो में दो पशुचिकित्सकों को एक कछुए के नथुने में फ़ंसी प्लास्टिक की स्ट्रॉ को निकालते हुए देखा। इस वीडियो ने उन पर एक गहरा प्रभाव छोड़ दिया। सन् २०१८ में, १४ वर्ष की आयु में चिंतन, नामक एक गैर सरकारी संस्था (NGO) के साथ स्वयंसेवा करते हुए उन्होंने प्लास्टिक स्ट्रॉ के प्रयोग के खिलाफ़ प्रचार करने का निर्णय लिया। अपने साथ पेपर स्ट्रॉ और रिसर्च पेपर लेकर उन्होंने यह कार्य 'खान मार्केट', 'नई दिल्ली' के रेस्तरां में जाकर उन्हें 'पेपर स्ट्रॉ' के प्रयोग के बारे में समझाना तथा 'एकल उपयोग प्लास्टिक' का प्रयोग बंद करने और पर्यावरण हितैषी विकल्पों की ओर मुड़ने के विषय में जागरूक करना शुरू किया। इस समय वे कथित तौर पर वातावरण से लाखों प्लास्टिक स्ट्रॉ हटा चुके हैं। वर्ष २०१९ में उन्हें 'न्यू यॉर्क' में आयोजित 'संयुक्त राष्ट्र युवा जलवायु अभियान सम्मेलन' में आमंत्रित किया गया। वर्तमान महामारी के दौरान वे लोगों के बीच जैव चिकित्सिकीय कचरे (जैसे मास्क) के सुरक्षित निपटारे के विषय में जागरूकता फैलाते रहे हैं। जुलाई माह में उन्होंने 'फॉरेस्ट्स ऑफ़ होप' नामक 'शहरी वानिकी पहल' को प्रारम्भ किया।
वरद कुबाल
१५ वर्षीय 'वरद' महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के एक गांव के निवासी हैं। तीन वर्ष पूर्व, उन्होंने 'अचरा' समुद्र तट पर घायल प्रवासी पक्षियों को बचाया और उनका इलाज किया और उसी समय उन्होंने अपने भीतर की सच्ची पुकार को भी सुना। तब से उन्होंने अनेक पक्षियों को आश्रय दिया जो उस क्षेत्र में विकास गतिविधियों के परिणामस्वरूप घायल हो जाते थे तथा उनके स्वस्थ होने तक देखभाल की। केवल यही नहीं, जून २०१९ में उन्होंने अपने आसपास के क्षेत्र के साथ मुंबई-गोवा हाइवे पर देशी वृक्षों जैसे जांभुल, नीम, बरगद और पीपल के रोपण के अभियान का नेतृत्व भी किया। अब वरद ने मिनी क्रिएटिव हॉबी नामक एक यूट्यूब चैनल प्रारम्भ किया है और उसके द्वारा लोगों को पर्यावरण हितैषी उपहार जैसे 'राखी' और 'सीड एग्स' बनाना सिखाया, जिसमें अंडे के छिलकों में बीजों को बोने का तरीका दिखाया जिससे मिट्टी कैल्शियम और नाइट्रोजन जैसे तत्त्वों से समृद्ध होगी तथा उगने वाले पौधों को भी पोषण मिलेगा।
Suchitra is an independent journalist working on social justice with a specific focus on gender justice. Reading, smashing gender norms and stationery gets her very excited!