आपके बच्चे को क्लॉथ डायपर का आराम और स्वच्छता दीजिये
- डिस्पोज़ेबल नैपीज़ हमारे लैंडफिल के लिए खतरनाक हैं। वैसे क्लासिक (लेकिन मेहनत मांगती) लंगोट का तो कोई मुकाबला नहीं है, क्लॉथ डायपर आपका अगला अच्छा विकल्प है।
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सोचें - यदि शाहजहाँ ने डिस्पोज़ेबल डायपर पहने होते तो वो डायपर अभी भी पूरी तरह से नष्ट नहीं होते। 'डिस्पोज़ेबल्स' इतने परमनेन्ट होते हैं। शिशु बहुत ज़्यादा पू और पी करते हैं - एक साल में 450 किलो! इसका मतलब है एक बेबी को एक दिन में कम से कम 4 या ज़्यादा डायपर बदलने होते हैं 2.5 साल की उम्र तक, जब वह पॉटी ट्रेंड नहीं होता। इसका मतलब है 3,200 डायपर और वो भी तीन साल से कम में! डायपर चुनना नए माता-पिता के लिए सबसे ज़रूरी चुनावों में से एक है — बेबी की सेहत के लिए, उनके अपने बजट के लिए और पर्यावरण के लिए भी। ये कुछ तथ्य हैं जो चुनने में मदद करेंगे।
डिस्पोज़ेबल डायपर सेहत के लिए हानिकारक हैं
1970 के दशक की शुरुआत के सालों तक, किसी के पास क्लासिक क्लॉथ डायपर का कोई और विकल्प नहीं था क्योंकि उस समय के डिस्पोज़ेबल डायपर प्राकृतिक तत्वों, जैसे कि वुड पल्प, सेल्युलोस अस्तर और कॉटन, से बनते थे जो बहुत मोटे होते थे और ज़्यादा सोख नहीं सकते थे। फिर आये रिसाइकिल नहीं होने वाले पोलिथीन, हानिकारक केमिकल और माइक्रोप्लास्टिक से बने हुए डिस्पोज़ेबल डायपर। अधिकतर लोगों ने इस्तेमाल की आसानी के कारण बिना इनकी रचना, इस्तेमाल और फैंकने के तरीके जाने इन्हें अपना लिया। आज के डायपर 12 घंटे तक लीकेज प्रोटेक्शन की गारेंटी देते हैं। इन्हें बनाने में सोडियम पोलीअकराइलेट (एस.पी. ए.) नामक एक संदिग्ध केमिकल प्रयोग किया जाता है जो अपने पानी में लिए हुए वज़न से 100 गुना ज़्यादा सोख सकता है। इसका मतलब है डायपर कम चेंज होता है और लम्बे समय तक केमिकल, बैक्टीरिया और अमोनिया (इकट्ठा हुई यूरिन से) का संपर्क बेबी को रैश देते हैं। ये न केवल यूरिन, बल्कि बेबी की स्किन की प्राकृतिक नमी भी सोख लेता है। इस बात से समझ में आता है कि डायपर रैश क्रीम की बिक्री इतनी क्यों बढ़ रही हैं।
‘सुपर अब्ज़ौरबेन्ट डायपर का मतलब है कम चेंज और लम्बे समय तक केमिकल, बैक्टीरिया और इकट्ठा हुई यूरिन से अमोनिया जिसके कारण बेबी को रैश हो जाते हैं’
पर्यावरण के लिए घातक
क्या आपको पता था डिस्पोज़ेबल डायपर को रिन्ज़-आऊट करके ही फैंकना चाहिए। दुर्भाग्यवश अधिकतर केयरगिवर्ज़ बेसिक इंस्ट्रक्शन को फॉलो नहीं करते हैं जिसके कारण हमारे लैंडफिल्स में लाखों टन अनट्रीटेड ह्यूमन वेस्ट है जो प्लास्टिक में लिपटा हुआ है। इसके कारण ये बीमारियों के लिए ब्रीडिंग ग्राउंड हो जाता है जो ग्राउंडवाटर कंटैमिनेट कर सकता है। जैसे-जैसे डिस्पोज़ेबल डायपर की इंडस्ट्री बढ़कर ऐसी जगहों में पहुँचेगी जहां वेस्ट कलेक्शन नहीं होता है, बड़े नंबर्स में प्लास्टिक डायपर समुद्र में जाएंगे जो ड्रैन्ज़ को ब्लॉक करेंगे, वाइल्ड-लाइफ को नुक्सान पहुंचाएंगे और बीमारियाँ फैलाएंगे। इंडिया में जहां हर साल 27 मिलियन बच्चे पैदा होते हैं और मिडिल क्लॉस डिस्पोज़ेबल डायपर ज़्यादा से ज़्यादा यूज़ करने लगी है, सैनेटरी वेस्ट डिस्पोज़ल की प्रॉब्लम बड़ी है।
क्लॉथ डायपर सबसे बेहतर!
क्लॉथ डायपर नये फैब्रिक कंस्ट्रक्शन और डिज़ाइन के कारण डिस्पोज़ेबल जैसे ही काम करते हैं और साथ ही अच्छे स्टाइल, डिज़ाइन, रंग और साइज़ में आते हैं। इनमें वैल्क्रो, स्नेप, फ्लीस और मुलायम, पीयूएल नायलोन कवर लगे हुए भी मिलते हैं। डायपर पिन की चुभन भी अब नहीं होती है। इनको धोने में कोई मुश्किल नहीं है क्योंकि इनमें वाशिंग मशीन फ्रेंडली भाग होते हैं। एडवांस क्लॉथ डायपर में तीन मुख्य भाग होते हैं - 1) एक लीक-प्रूफ शैल जो साइज़िंग भी देता है, 2) एक सोकर जो की बैम्बू या कॉटन से बना एक सोखने वाला पैड होता है और 3) एक ड्राई फैब्रिक ज़्यादा आराम के लिए। रिसर्च ने बताया है कि डिस्पोज़ेबल और क्लॉथ डायपर बनाने में एक जैसी मेहनत लगती है लेकिन डिस्पोज़ेबल डायपर को सुरक्षित तरह से हटाना नामुमकिन सा है।
‘क्लॉथ डायपर को धोना कोई मुश्किल काम नहीं है क्योंकि इनमें वाशिंग मशीन फ्रेंडली भाग होते हैं’
ईको-फ्रैंडली डिस्पोज़ेबल दूसरे नंबर पर आते हैं
अगर आप क्लॉथ डायपर के बारे में नहीं सोच सकते तो ईको-फ्रैंडली डायपर आपके लिए काम करेंगे। इनका दावा है कि ये प्लांट-बेस्ड होते हैं और इनमें क्लोरीन, ब्लीच प्रोसेसिंग, लेटेक्स नहीं होता है और इनमें सस्टेनेबल फॉरेस्ट्री से लिया हुआ पल्प होता है। ये नोट करना ज़रूरी है कि इन सब में सोडियम पोलीअकराइलेट होता है, वही केमिकल जिसकी बात हमने डिस्पोज़ेबल्स में भी की थी जिसके कारण इनका एक पार्ट नॉन-बायोडिग्रेडेबल होता है।
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स्टेप 1 - खरीदने के बाद और इस्तेमाल करने से पहले वॉश और केयर इंस्ट्रक्शन पढ़ें। इस्तेमाल के पहले एबज़ोरबेनसी शुरू करने के लिए एक बार डायपर धोना होता है (इसे डायपर की प्रेप्पिंग कहते हैं)
स्टेप 2 - अच्छे से फिट करने के लिए ऑनलाइन साइज़िंग वीडियो ट्यूटोरियल देखें।
स्टेप 3 - आप कवर डायपर या एआईओ में से क्या यूज़ कर रहे हैं उस हिसाब से इन्सर्ट अटैच करें और डायपर तैयार है!
यहां क्लॉथ डायपर से रिलेटेड कुछ कॉमन सवाल हैं। हम आपके लिए जवाब देते हैं :
1. आप कबसे क्लॉथ डायपर इस्तेमाल कर सकते हैं?
आप अपने बेबी के पैदा होने से ही ये शुरू कर सकते हैं। न्यूबोर्न साइज़ 3-7 किलो के शिशुओं को और फ्री साइज़ 5-17 किलो के शिशुओं को फ़िट होता है। हर क्लॉथ डायपर सामने लगे हुए साइज़ स्नैप्स के साथ आता है जिससे आप बाहर के कवर का साइज़ छोटा-बड़ा कर सकते हैं।
2. क्या यह वॉशिंग मशीन का लोड बहुत बढ़ा देता है?
डिस्पोज़ेबल डायपर अपनाने की चाह रखने वाले लोगों के लिए भी क्लॉथ डायपर नहीं अपनाने के लिए लांड्री सबसे बड़ा कारण बना है। लेकिन इनको धोने का तरीका बहुत आसान है और वो मुश्किल नहीं है जो आपने सोची होगी। सारे एडवांस्ड क्लॉथ डायपर वाशिंग मशीन में आराम से धोये जा सकते हैं। पी किये हुए डायपर को यूज़ के बाद रिंस करना होता है। पूपी डायपर के सॉलिड को टॉयलेट में डाल कर फ़्लश करना होता है। उसके बाद नार्मल वाश चाहिए होता है रेगुलर डिटर्जेन्ट के साथ। एंज़ाइम, ऐडिटिव्ज़ और खुशबू या स्पेशल एजेंट जैसे ब्लीच, फैब्रिक सॉफ़्टनर और डेटोल जैसे एंटी-बैक्टीरियल वाले डिटर्जेंट काम में न लें। इस्तेमाल के 48 घंटों में आप गंदे डायपर को मशीन में डाल सकते हैं और धूप में सुखाना सबसे अच्छा रहेगा।
3. क्लॉथ डायपर कितना चलता है?
सुपरबॉटम 300 से ज़्यादा इस्तेमाल के लिए चलते हैं।
4. क्या यह सस्ता है?
आपका बेबी 4,000 से ज़्यादा डायपर इस्तेमाल करेगा।
एक डिस्पोज़ेबल डायपर का दाम 10 रूपए है, तो कुल 40,000 रूपए उन पर खर्च होंगे। अगर आप क्लॉथ डायपर अपनाते हैं, तो आपको बेबी के जन्म से पॉटी ट्रेनिंग तक सिर्फ 12-15 डायपर खरीदने होंगे। हर डायपर का दाम करीब-करीब 750 रूपए है तो आपका टोटल 12,000 रूपए होगा। इसीलिए ये काफी सस्ता पड़ेगा।
5. कैसे पता चलेगा की फ़िट ठीक है?
क्लॉथ डायपर अगर ज़्यादा ढीला या टाइट होगा तो लीक होगा। सही साइज़ लेना बहुत ज़रूरी है। ये ऐसे देखा जा सकता है कि क्रोच एरिया पर कोई गैप नहीं हों और इलास्टिक लेग्स की क्रीज़ पर होनी चाहिए जैसे अंडरवियर में होती है। थोड़े इलास्टिक मार्क देखे जा सकते हैं और ये बिलकुल नॉर्मल हैं। 15-20 मिनट में ये गायब हो जाते हैं।
एक्सपर्ट की राय:
क्लॉथ डायपर बिना वेस्ट की चिंता किये काम में लिए जा सकते हैं। इसको बार-बार बदलने से इन्फ़ेक्शन का डर भी कम होता है। यूरिन के लगातार संपर्क से रैश हो सकते हैं और सेकंडरी फंगल इन्फ़ेक्शन और दूसरी परेशानियाँ भी होती हैं। साफ़ क्लॉथ डायपर ये रिस्क बहुत कम कर देते हैं। लेकिन ये ज़रूर ध्यान रखना चाहिए कि ये डायपर दोबारा इस्तेमाल के पहले अच्छे से धोये और सुखाये जाऐं। एक दिन के लिए कम-से-कम 8-10 क्लॉथ डायपर होने चाहिए।
सुशांत माने, एम डी, एसोसिएट प्रोफेसर
डिपार्टमेंट ऑफ़ पीडियाट्रिक्स
ग्रांट गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड सर जेजे ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स
नेहा साहित्य, क्लासिक रॉक और फुटबॉल पसंद करने वाली फ़ुल-टाइम मॉमी-ब्लॉगर है। ट्रेवल के शौक रखने वाली नेहा को आप अक्सर अपनी बेटी को पढ़कर सुनाते हुए या प्लास्टिक का सबसे अच्छा विकल्प खोजते हुए पा सकते हैं!
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Could I use jute diapers just to be economically and eco Friendly ? Or will this cause a diaper rash?
Plzzzz ignore the previous comment , my bro doesn’t know much about jute diapers
Absolutely, the impact of diaper choice reaches far beyond convenience—it’s a decision that echoes through time, affecting our environment and resources. The staggering numbers surrounding disposable diapers truly underscore their long-lasting impact on our planet. Cloth diapers emerge as an incredibly compelling choice, not just for their eco-friendliness but also for their positive impact on a baby’s health and a family’s budget. They’re reusable, significantly reducing waste and the environmental burden, with modern designs ensuring ease of use and laundering. Making an informed choice about diapers isn’t just about the immediate comfort of a baby; it’s a statement about sustainability, responsible consumption, and the legacy we leave for future generations. The sheer weight of the statistics emphasizes the pivotal role each parent plays in making a conscious, impactful decision for their child’s well-being and the planet’s health.
What stands out is the way Ethico India seamlessly blends practical advice with a touch of whimsy, making the case for cloth diapers not just a choice but a lifestyle. The blog is a testament to the idea that caring for your baby and caring for the environment need not be mutually exclusive – it’s a harmonious symphony of comfort, style, and conscious living.